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अभी लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की परीक्षा बाकी है : आजाद

नयी दिल्ली : पूर्व हरफनमौला कीर्ति आजाद का मानना है कि विश्व कप के लिये बनाई गई पिचें त्रिकोणीय श्रृंखला में इस्तेमाल हुई पिचों की तुलना में अधिक सपाट हैं. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ त्रिकोणीय एक दिवसीय क्रिकेट श्रृंखला में एक भी मैच नहीं जीत सकी थी लेकिन उसने विश्व कप में […]

नयी दिल्ली : पूर्व हरफनमौला कीर्ति आजाद का मानना है कि विश्व कप के लिये बनाई गई पिचें त्रिकोणीय श्रृंखला में इस्तेमाल हुई पिचों की तुलना में अधिक सपाट हैं. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ त्रिकोणीय एक दिवसीय क्रिकेट श्रृंखला में एक भी मैच नहीं जीत सकी थी लेकिन उसने विश्व कप में पहले तीन मैचों में शानदार जीत दर्ज की है.

विश्व कप 1983 की विजेता टीम के सदस्य आजाद ने कहा , उस समय मौसम इतना गर्म नहीं था लिहाजा गेंद घूम रही थी. हम हालात के अनुरुप ढले भी नहीं थे. अब गर्मी आ गई है और भारतीय टीम के लिये यह अच्छा मौसम है. इसके अलावा पिचें भी उम्दा हैं.

उन्होंने अपनी हिन्दी फिल्म किरकेट के मुहूर्त के मौके पर कहा , त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान पिचों पर घास थे लेकिन अब वे पूरी सूखी हैं. यदि आप चाहे तो भी इस मौसम में पिचों पर घास नहीं मिलेगी. हालात बदल गए हैं और भारतीय टीम को रास आ रहे हैं.
आजाद ने कहा , टीम में जीत का जज्बा है. हमें यह समझना होगा कि त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान हमारे कई खिलाड़ी चोटिल थे. ईशांत शर्मा, रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा सभी अनफिट थे लिहाजा हमारे पास ज्यादा विकल्प नहीं थे. उन्होंने चेताया कि भारत को अभी विश्व कप जीतने के लिये लंबा सफर तय करना है लिहाजा अभी से जश्न मनाने की जरुरत नहीं है.
उन्होंने कहा , अभी तक भारत ने बडा स्कोर बनाया है लेकिन बडे लक्ष्य का पीछा नहीं किया. मैं यूएई के खिलाफ मैच को नहीं गिन रहा लेकिन अभी भारत की लक्ष्य का पीछा करते हुए परीक्षा बाकी है. आजाद ने कहा , भारतीय होने के नाते मैं अपनी टीम को जीतते देखना चाहता हूं और मुझे इसका मजा आ रहा है लेकिन मेरे भीतर एक क्रिकेटर भी है जो हर जीत और हार के पीछे तर्क तलाशता है. भारत को अभी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से खेलना है और तब उसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा.
उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत को एक अच्छे हरफनमौला की कमी खल रही है. उन्होंने कहा , बिल्कुल, भारतीय टीम में एक अच्छे हरफनमौला की कमी है. हर टीम की जान वह हरफनमौला होता है जो छठे, सातवें या आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करके तेजी से रन बनाये और गेंदबाजी में चौथे या पांचवें गेंदबाज की भूमिका निभाये.

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