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साल 2024 में देव गुरु बृहस्पति समेत ये 6 ग्रह चलेंगे उल्टी चाल, जानें अपने जीवन में ग्रहों का शुभ-अशुभ प्रभाव

Vakri Grah 2024: नवग्रहों में सूर्य देव को पिता और आत्मा का कारक माना गया है, चंद्रमा को माता का कारक माना गया है. वहीं मंगल को भाई और साहस का प्रतीक है, बुध तर्क और बुद्धि से जुड़ा ग्रह है, देव गुरु बृहस्पति ज्ञान और धन से जुड़ा ग्रह है.

Vakri Grah 2024: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सभी नवग्रहों का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ग्रह व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों पर प्रतिक्रिया देते हैं. इन नवग्रहों में सूर्य देव को पिता और आत्मा का कारक माना गया है, चंद्रमा को माता का कारक माना गया है. वहीं मंगल को भाई और साहस का प्रतीक है, बुध तर्क और बुद्धि से जुड़ा ग्रह है, देव गुरु बृहस्पति ज्ञान और धन से जुड़ा ग्रह है, शुक्र सौंदर्य, विलासिता और प्रेम का कारक है और जबकि शनि देव को सेवा से जुड़ा ग्रह माना जाता है. यह सभी नवग्रह अपने अपने स्वभाव और कुंडली में अपनी विशेष स्थिति के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं. साल 2024 में देव गुरु बृहस्पति, मंगल, शनिदेव, बुध और राहु केतु अगल अलग समय में वक्री अवस्था में अपनी चाल बदलकर उल्टी चाल चलेंगे. इन सभी ग्रहों के व्रकी होने का शुभ और अशुभ प्रभाव सभी राशि के जातक पर पड़ेगा.

जानें 2024 में वक्री ग्रहों की तिथि और समय

बृहस्पति ग्रह 09 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट पर वृषभ राशि वक्री करेंगे. बृहस्पति ग्रह ग्रह 9 अक्टूबर से लेकर 04 फरवरी 2025 तक इस राशि में उल्टी चाल चलेंगे. वहीं शनि ग्रह 29 जून की रात 11 बजकर 49 मिनट पर कुंभ राशि में वक्री होंगे. शनि देव 29 जून से लेकर 15 नवंबर 2024 तक कुंभ राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे, इसके बाद मंगल ग्रह 07 दिसंबर की सुबह 04 बजकर 56 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कर्क राशि राशि में वक्री होंगे और 24 फरवरी 2025 तक इसी राशि में उल्टी चाल चलेंगे. बुध ग्रह 02 अप्रैल 2024 की मध्यरात्रि 03 बजकर 18 मिनट पर मेष राशि से निकलकर मीन राशि राशि में वक्री होंगे. बुध ग्रह मीन राशि में 25 अप्रैल 2024 तक उल्टी चाल चलेंगे. 25 अप्रैल को बुध ग्रह मार्गी हो जाएंगे. फिर 05 अगस्त 2024 की सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर बुध ग्रह कर्क राशि में वक्री होंगे और 29 अगस्त 2024 तक इसी राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे. फिर 26 नंवबर 2024 की सुबह 07 बजकर 39 मिनट पर वृश्चिक राशि में वक्री होंगे और 16 दिसंबर 2024 तक इसी राशि में उल्टी चाल चलेंगे, इसके बाद 16 दिसंबर 2024 को बुध मार्गी होकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे.

वक्री ग्रह क्या है?

ज्योतिष में नौ ग्रहों का महत्व बताया गया है, लेकिन इनमें छाया ग्रह राहु और केतु को छोड़कर अन्य सात ग्रह माने जाते हैं. क्योंकि यह सीधी गति में चलते हैं, जबकि राहु और केतु छाया ग्रह हमेशा उल्टी चाल चलते है. सात ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा कभी भी वक्री अवस्था में नहीं होते, इनके अलावा अन्य पांच ग्रह मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि समय-समय पर अपनी मार्गी अवस्था से वक्री अवस्था में और फिर वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में आ जाते हैं. ग्रहों के मार्गी से वक्री और वक्री से मार्गी अवस्था में जाने के दौरान मानव जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं. ज्योतिष में वक्री अवस्था को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वक्री अवस्था में ग्रहों के परिणाम देने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है और यह अधिक शक्तिशाली हो जाते है. कुछ ज्योतिष विशेषज्ञ किसी भी ग्रह के वक्री रूप को पूर्व जन्म से वर्तमान जीवन में लाए गए किसी ऋण का प्रभाव मानते हैं और वक्री ग्रह की स्थिति के अनुसार ही उसका फल बताते हैं.

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बृहस्पति ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

बृहस्पति ग्रह के आशीर्वाद से उच्च शिक्षा, कानून और फाइनेंस से संबंधित शिक्षा, विदेश यात्राएं और बड़े स्तर के व्यवसाय खूब फलते फूलते हैं और जातक इन क्षेत्रों में खूब नाम कमाता है. देव गुरु बृहस्पति को दो राशि का स्वामित्व प्राप्त है धनु राशि और मीन राशि. कर्क राशि इनकी उच्च राशि है, जबकि मकर राशि में यह नीच के होते हैं. किसी भी जातक की कुंडली में जब बृहस्पति कमज़ोर स्थिति में विराजमान होते हैं, तो वह किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले ही हार मान जाता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति अनुकूल स्थिति में मौजूद हो और वक्री हो तो जातक का झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ तेज़ी से बढ़ता है. 2024 में देव गुरु बृहस्पति का वक्री होना आपको अपने कार्यक्षेत्र में बहुत अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा. बृहस्पति की वक्री अवस्था कुछ जातकों के लिए काफी ज्यादा अच्छा रहने वाला है. वहीं यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति प्रतिकूल स्थिति में विराजमान हैं तो सावधान रहें.

उपाय: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और अपने बड़ों और गुरुओं का सम्मान करें.

शनि ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

ज्योतिष में शनि देव को सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया है, इन्हें दंडाधिकारी और कर्मफल दाता भी कहा जाता है. शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है जो जीवन में अनुशासन के मूल्य पर जोर देते हैं. शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व प्राप्त हैं. तुला राशि में ये उच्च के होते हैं, लेकिन मेष राशि इनकी नीच राशि मानी जाती है. शनि की साढ़ेसाती, ढैया और पनौती तथा कंटक शनि बहुत महत्वपूर्ण स्थिति में होते हैं. क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं. शनिदेव भरोसेमंद और शांत स्वभाव के हैं. शनिदेव का वक्री होना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि यह अपने अच्छे फल देने की क्षमता में कमी कर देते हैं. शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जब शनि वक्री होंगे तो प्रत्येक राशि के जातकों को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम प्रदान करेंगे. यदि शनि कमज़ोर अवस्था में विराजमान हो तो व्यक्ति को अपने हर एक कार्य में बहुत अधिक प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलती है.

उपाय: भगवान शनिदेव के नील शनि स्तोत्र का पाठ करें. श्रमिकों को खाना खिलाएं.

मंगल ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना जाता है. यह अत्यंत शक्तिशाली ग्रह के साथ-साथ उग्र ग्रह भी है. यदि कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो जातक को मांगलिक बनाती है. यह अत्यंत ऊर्जावान और सक्रिय ग्रह है, जो जातक को जीवन ऊर्जा प्रदान करता है. यदि कुंडली के तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में मंगल विराजमान हो तो जातक को बहुत शक्तिशाली बना देता है. मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं. मकर राशि में ये उच्च के तथा कर्क राशि में नीच के माने जाते हैं. कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति के कारण जातक छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित हो जाता है. बेवजह किसी दूसरों के मामलों और झगड़ों में हस्तक्षेप करने लगता है और झगड़े का हिस्सेदार बन जाता है. मंगल वक्री होने की अवस्था में जातक को बहुत जल्दी प्रभावित करता है. मंगल की दशा में व्यक्ति को गंभीर चोट या दुर्घटना की संभावना बन जाती है. यदि कुंडली में वक्री मंगल शुभ स्थिति में हो तो जातक मंगल की दशा में बेहद भाग्यशाली परिणाम प्राप्त करता है. 2024 में भी मंगल के वक्री होने से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा. वक्री मंगल कभी भी कोई समस्या नहीं देंगे और उनके जीवन में उन्नति के कई मार्ग खोल देंगे. मंगल 2024 में वक्री हो रहे हैं और जातकों को शारीरिक समस्याओं के साथ मानसिक अवसाद क्रोध और चिड़चिड़ापन प्रदान कर सकते हैं.

उपाय: छोटे और गरीब बच्चों को केले खिलाएं. वक्री मंगल के किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए हनुमान मंदिर जाएं.

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शुक्र ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

शुक्र का वक्री होना एक सामान्य घटना है, हालांकि वर्ष 2024 में शुक्र एक बार भी वक्री नहीं हो रहे हैं. शुक्र हमेशा की तरह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते रहेंगे. ज्योतिष में शुक्र सुख, विलासिता, ख़ुशी, प्रेम और घनिष्ठ संबंधों का ग्रह है. शुक्र ग्रह एक स्त्री प्रधान ग्रह है और किसी भी जातक की कुंडली में यह उसकी पत्नी को दर्शाता है. शुक्र मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीच अवस्था में होते हैं. ये वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं. यह वैवाहिक सुख, सौंदर्य, रोमांस, भौतिक सुख, प्रेम संबंध और सभी सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह हैं. यदि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-सुविधाओं की प्राप्ति करनी हो तो उसे शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए. यदि कुंडली में शुक्र प्रतिकूल स्थिति में मौजूद हैं, तो आपको उन सभी क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो शुक्र के आधिपत्य में आते हैं. इसकी वजह से बांझपन की समस्या भी हो सकती है और यह पुरुषों में शुक्राणु का कारक भी होता है, जिसकी वजह से संतान प्राप्ति में भी कई मुश्किलें आती हैं.

उपाय: प्रत्येक शुक्रवार को मां लक्ष्मी को पांच लाल फूल चढ़ाएं और आसपास किसी शिव मंदिर में जाएं.

बुध ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में बुध को शुभ ग्रह कहा गया है. बुध कुंडली में यदि अशुभ ग्रह एक साथ होंगे, तो अशुभ परिणाम और शुभ ग्रह के साथ होंगे, तो शुभ परिणाम प्रदान करने वाले ग्रह हैं. बुध की गति भी काफी तेज है और यह अक्सर सूर्य के साथ ही देखे जाते हैं. ज्योतिष में बुध का वक्री होना शक्तिशाली माना जाता है. यदि आपकी कुंडली में बुध अनुकूल स्थिति में नहीं है, तो आपको बुध के वक्री होने के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी सोचने और समझने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है और परिणाम प्रतिकूल हो सकते हैं. वक्री बुध 2024 के प्रभाव से जातक की तर्कशक्ति का विकास होगा और उनकी निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी. यदि किसी की कुंडली में बुध वक्री होकर कमजोर अवस्था में स्थित है और पीड़ित हो रहे हैं अर्थात प्रतिकूल या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हैं, तो जिस भाव में बुध ग्रह स्थित हैं और जिन भावों से उनका संबंध है, उनसे संबंधित फलों में कमी और बिखराव कर सकते हैं तथा कार्यों में विलंब भी ला सकते हैं.

उपाय: वक्री बुध के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए पक्षियों या गाय को भीगे हुए हरे चने खिलाएं और बुधवार के दिन विधारा की जड़ धारण करें.

ज्योतिष संबंधित चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किए जाएंगे

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