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इस प्रकार करें हनुमान जी की पूजा, मिलेंगे शुभ फल

रामभक्त हनुमान जितना अपनी पूजा से प्रसन्न नहीं होते उससे कहीं अधिक प्रभु श्रीराम की पूजा से प्रसन्न होते हैं. मंगलवार को हनुमान चालिसा का पाठ सुबह और शाम दोनों समय करना चाहिए. इसके साथ ही बजरंग बाण और राम स्तूति से मनुमान की विशेष कृपा होती है. जो मनुष्‍य शुद्ध मन से मंगलवार को […]

रामभक्त हनुमान जितना अपनी पूजा से प्रसन्न नहीं होते उससे कहीं अधिक प्रभु श्रीराम की पूजा से प्रसन्न होते हैं. मंगलवार को हनुमान चालिसा का पाठ सुबह और शाम दोनों समय करना चाहिए. इसके साथ ही बजरंग बाण और राम स्तूति से मनुमान की विशेष कृपा होती है. जो मनुष्‍य शुद्ध मन से मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करता है उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं. श्रीराम के 108 नामों के जाप से भी श्री हनुमान प्रसन्न होते हैं और मनवांक्षित फल प्रदान करते हैं.हनुमानजी शिव के अवतार हैं और शनिदेव परम शिव भक्त और सेवक हैं. इसलिए सोमवार-पूर्णिमा पर शनि दशा या अन्य ग्रहदोष से आ रही कई परेशानियों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्रीहनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक का पाठ करें.

श्रीहनुमान की गुण, शक्तियों की महिमा से भरे मंगलकारी सुन्दरकाण्ड का परिजनों या इष्टमित्रों के साथ शिवालय में पाठ करें. यह भी संभव न हो तो शिव मंदिर में हनुमान मंत्र ‘हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्’ का रुद्राक्ष माला से जप करें या फिर सिंदूर चढ़े दक्षिणामुखी या पंचमुखी हनुमान के दर्शन कर चरणों में नारियल चढ़ाकर उनके चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाएं। इससे ग्रहपीड़ा या शनिपीड़ा का अंत होता है.

हनुमानजी की भक्ति नयी उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ असफलताओं व निराशा के अंधेरों से निकल नये लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देती है. लक्ष्यों को भेदने के लिए इस दिन अगर शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो आने वाला वक्त बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है. इसे सोमवार-पूर्णिमा के अलावा हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें

हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।

रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।

लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।

स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।

हनुमानजी की पूजा के लिए कुछ नियम और कार्य

जब कोई भक्त हनुमानजी को सच्चे मन से समर्पित होकर याद करता है तब आसानी से हनुमानजी उस पर प्रसन्न हो जाते हैं. परंतु यह जानना आवश्‍यक है कि हनुमानजी के पूजन के लिए किन नियमों का पालन करने से ज्यादा फल मिलता है. हनुमान जी राम के परम भक्त है और खुद वानर है अत: प्रभु राम की भक्ति और वानरों को गुड चन्ने और केले का प्रसाद खिलाना हनुमान जी को खुश करने का अचूक उपाय है. इसके अलावा हनुमान जी को सिंदूर लगाना भी सबसे प्रिय पूजा माना जाता है. हनुमान जी अपने मां पिता के बड़े लाडले थे अत: मां अंजना और पिता केसरी के जयकारे से भी हनुमान अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं.

हर दिन भगवान श्री हनुमान की मूर्ति या तश्वीर या हो सके तो मंदिर में जा कर दर्शन करें.

सुबह जगने के बाद और रात्रि में सोने से पहले हनुमान चालीसा या हनुमान मंत्र का जाप करें.

दिन में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा पूर्ण ध्यान और समझते हुए पढ़े.

यदि हो सके तो पूर्ण रूप से मांसारी खाना और मादक पेय त्याग दें.

हनुमान भक्त को श्री राम और मां जानकी की भी पूजा करनी चाहिए.

हो सके तो मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी का व्रत करना चाहिए.

हर मंगलवार या शनिवार को हनुमान मंदिर में बालाजी की लाल मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाना चाहिए उसके बाद जनेऊ पहनानी चाहिए फिर उन्हें गुड चन्ना या केले का प्रसाद चढ़ा कर हो सके तो वानरों को यह प्रसाद खिलाना चाहिए.

श्री राम 108 नामावली

ॐ राम रामाय नम:, ॐ राम भद्राया नम:, ॐ राम चंद्राय नम:, ॐ राम शाश्वताया नम:, ॐ राजीवलोचनाय नम:, ॐ वेदात्मने नम:, ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नम:, ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नम:, ॐ त्रिमुर्तये नम:, ॐ त्रिगुनात्मकाया नम:, ॐ श्रीमते नम:, ॐ राजेंद्राय नम:, ॐ रघुपुंगवाय नम:, ॐ जानकिइवल्लभाय नम:, ॐ जैत्राय नम:, ॐ जितामित्राय नम:, ॐ जनार्दनाय नम:, ॐ विश्वमित्रप्रियाय नम:, ॐ दांताय नम:, ॐ शरणात्राण तत्पराया नम:, ॐ वालिप्रमाथानाया नम:, ॐ वाग्मिने नम:, ॐ सत्यवाचे नम:, ॐ सत्यविक्रमाय नम:, ॐ सत्यव्रताय नम:, ॐ व्रतधाराय नम:, ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नम:, ॐ कौसलेयाय नम:, ॐ खरध्वा.सिने नम:, ॐ विराधवाधपन दिताया नम:, ॐ विभीषना परित्रात्रे नम:, ॐ हरकोदांद खान्दनाय नम:, ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नम:, ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नम:, ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नम:, ॐ तातकांतकाय नम:, ॐ वेदांतसाराय नम:, ॐ त्रिविक्रमाय नम:, ॐ त्रिलोकात्मने नम:, ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नम:, ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम:, ॐ धंविने नम:, ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम:, ॐ अहल्या शाप शमनाय नम:, ॐ पित्रै भक्ताया नम:, ॐ वरप्रदाय नम:, ॐ राम जितेंद्रियाया नम:, ॐ राम जितक्रोधाय नम:, ॐ राम जितामित्राय नम:, ॐ राम जगद्गुरवे नम:, ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम:, ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम:, ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम:, ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम:, ॐ सर्वदेवादि देवाय नम:, ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम:, ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम:, ॐ महादेवाय नम:, ॐ महाभुजाय नम:, ॐ सर्वदेवस्तुताय नम:, ॐ सौम्याय नम:, ॐ ब्रह्मंयाया नम:, ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम:, ॐ महा योगिने नम:, ॐ महोदराया नम:, ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम:, ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम:, ॐ परस्मै धाम्ने नम:, ॐ पराकाशाया नम:, ॐ परात्पराया नम:, ॐ परेशाया नम:, ॐ पारगाया नम:, ॐ पाराया नम:, ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम:, ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम:, ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम:, ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम:, ॐ आदिपुरुष्हाय नम:, ॐ परमपुरुष्हाय नम:, ॐ महापुरुष्हाय नम:, ॐ पुंयोदयाया नम:, ॐ अयासाराया नम:, ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम:, ॐ स्मितवक्त्राया नम:, ॐ मितभाश्हिने नम:, ॐ पुउर्वभाश्हिने नम:, ॐ राघवाया नम:, ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम:, ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम:, ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम:, ॐ महादेवादिपुउजिताया नम:, ॐ राम सेतुक्रूते नम:, ॐ जितवाराशये नम:, ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम:, ॐ हरये नम:, ॐ श्यामानगाया नम:, ॐ सुंदराया नम:, ॐ शुउराया नम:, ॐ पितवाससे नम:, ॐ धनुर्धराया नम:, ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम:, ॐ यज्वने नम:, ॐ जरामरनवर्जिताया नम:, ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम:, ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम:, ॐ परमात्मने नम: एवं ॐ परस्मै ब्रह्मने नम:.

श्री हनुमान जी के 108 नाम

ॐ हनुमते नमः, ॐ श्रीप्रदाया नमः, ॐ वायुपूत्राया नमः, ॐ अजराया नमः, ॐ अमृत्याया नमः, ॐ मारुताथमज़ाया नमः, ॐ विराविराया नमः, ॐ ग्रामवासाया नमः, ॐ जनश्रयड़ायाया नमः, ॐ रुद्राया नमः, ॐ अनागाया नमः, ॐ धनदायाया नमः, ॐ अकायाये नमः, ॐ विरये नमः, ॐ वागमिने नमः, ॐ पिंगाकशाये नमः, ॐ वारदाये नमः, ॐ सीता शोकविनाशनाये नमः, ॐ रक्तावाससे नमः, ॐ शिवाये नमः, ॐ निधिपटये नमः, ॐ मुनाये नमः, ॐ शरवाये नमः, ॐ व्यक्ताव्यकताये नमः, ॐ रासाधराये नमः, ॐ पिंगाकेशाये नमः, ॐ पिंगरोमने नमः, ॐ श्रुतिगामयाये नमः, ॐ सानातनाया नमः, ॐ पराये नमः, ॐ अव्यकताये नमः, ॐ अनादाये नमः, ॐ भगवाते नमः, ॐ डेवाये नमः, ॐ विश्वहेटावे नमः, ॐ निराश्रयाये नमः, ॐ आरोगयकारते नमः, ॐ विश्वेश्वाये नमः, ॐ विश्वानायाकाये नमः, ॐ हरिश्वराये नमः, ॐ विश्वमुरताया नमः, ॐ विश्वकाराये नमः, ॐ विषडाये नमः, ॐ विश्वात्मनाय नमः, ॐ विश्वाहाराया नमः, ॐ राव्याय नमः, ॐ विश्वचेशलाये नमः, ॐ विश्वासेवायाय नमः, ॐ विश्वाया नमः, ॐ विश्वागम्याय नमः, ॐ विश्वाध्ययाये नमः, ॐ बालाये नमः, ॐ वृधाध्यये नमः, ॐ यूनाया नमः, ॐ कलाधराये नमः, ॐ प्लावंगगमये नमः, ॐ कपिशेषतया नमः, ॐ विडयाये नमः, ॐ ज्येष्ताये नमः, ॐ तटवाये नमः, वनचराये नमः, ॐ तत्वगामयये नमः, ॐ सखये नमः, ॐ अजाये नमः, ॐ अंजनीसूनावे नमः, ॐ अवायगराये नमः, ॐ भार्गाये नमः, ॐ रामाये नमः, ॐ रामभक्ताये नमः, ॐ कल्याणाये नमः, ॐ प्राकृतिस्तिराया नमः, ॐ विश्वंभाराये नमः, ॐ ग्रामासवंताय नमः, ॐ धराधराय नमः, ॐ भुरलोकाय नमः, ॐ भुवरलोकाय नमः, ॐ स्वर्गालोकाया नमः, ॐ महालोकाय नमः, ॐ जनलोकाय नमः, ॐ तापसे नमः, ॐ अव्यायाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ ओंकार्जमयाये नमः, ॐ प्राणवाये नमः, ॐ व्यापकाये नमः, ॐ अमलाये नमः, ॐ शिवधर्मा-प्रतिष्ताये नमः, ॐ रमेशतात्राया नमः, ॐ फाल्गुणप्रियायेया नमः, ॐ राक्षोधनाया नमः, ॐ पंदारिकाक्षायाया नमः, ॐ दिवाकाराया नमः, ॐ समप्रभाये नमः, ॐ द्रोनहार्ताया नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ गोसपदिकृताया नमः, ॐ वारिशाये नमः, ॐ पूर्णकमाया नमः, ॐ धरा धिप्प्याय नमः, ॐ शक्ति राक्षसाया नमः, ॐ मारकायाया नमः, ॐ रामदूठाया नमः, ॐ कृष्णाया नमः, ॐ शरणागतवत्सलाया नमः, ॐ जानकीपराणदाताया नमः, ॐ रक्षप्रानहारकाया नमः, ॐ पूर्णाया नमः, ॐ सत्याये नमः, ॐ पितावाससेया नमः एवं ॐ डेवाया नमः

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