समृद्धि मनुष्य को सदा नम्रता के साथ रखती है. आज तुमने एक कमरा बना दिया, अगले साल एक बेडरूम जोड़ दो. इस साल तुमने फूस लगाया, अगले साल टिन लगा देना, इसके बाद एक बाथरूम बना दो. इसको समृद्धि कहते हैं. जो लोग रातों-रात अमीर बनना चाहते हैं, वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं, क्योंकि संपत्ति आने पर दुर्गुण आयेंगे, व्यसन आयेंगे, बुराइयां आयेंगी, फिजुलखर्ची आयेगी.
मनुष्य के अंदर जो उत्साह, प्रेरणा और पुरुषार्थ की शक्ति है, वह खत्म हो जायेगी. भारत में केवल एक प्रांत केरल को छोड़ कर, बाकी जगह प्रौढ़ शिक्षा और साक्षारता असफल रही है. उसका कारण क्या है? किसी व्यक्ति को कोई काम कहो, तो उसके मन में एक यही बात आती है कि इससे क्या होगा? हम तुमसे कहते हैं कि भागलपुर जाओ. तुम पूछते हो, क्यों?
हम कहते हैं कि तिरुपति जाओ. तुम कहते हो, क्यों? हर एक मनुष्य के मन में यही है. हमारे देश में शिक्षा को लेकर अलग ही दृष्टि है. किसी से कहो कि पढ़ते-लिखते क्यों नहीं, तो उत्तर मिलता है कि क्या होगा पढ़-लिख कर, जब गोबर ही पाथना है. यहां हर हाल में हमें यह समझना होगा कि शिक्षा या साक्षरता का महत्व क्या है.
– स्वामी सत्यानंद सरस्वती