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समस्या आपके मन में है

अगर किसी के अंदर कोई भावना ही नहीं है, तो आप उसे इंसान नहीं कह सकते. जो लोग कहते हैं कि भावनाएं आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते में बाधक हैं, वे अगली बात यह बतायेंगे कि आपका मन और शरीर भी एक बाधा है. यह सच है. आपका शरीर, मन, भावनाएं, और ऊर्जा- ये तमाम चीजें […]

अगर किसी के अंदर कोई भावना ही नहीं है, तो आप उसे इंसान नहीं कह सकते. जो लोग कहते हैं कि भावनाएं आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते में बाधक हैं, वे अगली बात यह बतायेंगे कि आपका मन और शरीर भी एक बाधा है. यह सच है. आपका शरीर, मन, भावनाएं, और ऊर्जा- ये तमाम चीजें या तो आपके जीवन में बाधा बन सकती हैं, या फिर यही चीजें जीवन में आगे बढ़ने का सोपान भी बन सकती हैं.
यह सब इस बात पर निर्भर है कि आप उनका प्रयोग किस तरह करते हैं. आपकी भावनाएं आपके मन में चल रहे विचारों से अलग नहीं होतीं. जैसा आप सोचते हैं, वैसा महसूस करते हैं. विचार शुष्क होते हैं और भावनाएं रसीली. आपको लगता है कि आपका मन भी एक समस्या है. ऐसा नहीं है. समस्या यह है कि आपको यह नहीं पता कि उसका प्रयोग कैसे करें. इसे ऐसे समझ सकते हैं.
आपको गाड़ी चलाना नहीं आता और हमने आपको तेजी से चलनेवाली कार दे दी.
अब यह न सिर्फ आपकी जिंदगी के लिए एक समस्या हो गयी, बल्कि दूसरों की जिंदगी के लिए भी, क्योंकि आपने कार चलाना नहीं सीखा. जाहिर है, समस्या की वजह मशीन नहीं है. मन आपके लिए समस्या है, क्योंकि आपने इसे संभालने का तरीका सीखने की कोशिश नहीं की. मन व भावनाएं समस्या नहीं हैं. भावनाएं तो मानवीय जीवन का एक खूबसूरत पहलू हैं. अगर भावनाएं न हों तो लोग बदसूरत हो जाएं. हां, बस इतना है कि जब भावनाएं बेलगाम हो जाती हैं, तो यह पागलपन कहलाता है.
सद्गुरु जग्गी वासुदेव

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