हम जन्म के साथ इस जीवन में बहुत उत्साह लाते हैं, पर धीरे-धीरे वह कहीं खो जाता है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हम सकारात्मक दृष्टिकोण से नकारात्मक दृष्टिकोण की ओर खुद को मोड़ लेते हैं. हम किसी घटना पर उदास हो जाते हैं. हर घटना एक मौका है अपने ज्ञान को और गहरा बनाने के लिए. कोई अप्रिय घटना कहीं ना कहीं उस ज्ञान को उजागर करती है, जो जन्म से ही हमारे साथ है.
सकरात्मक या नकरात्मक, हर घटना हमारे भीतर के ज्ञान को उजागर करती है. अगर कोई घटना हम पर हावी हो जाये, तो हम अपनी बुद्धि खो देते हैं. तब हमें मदद की जरूरत पड़ती है. यहां सत्संग का महत्व है. हम सब साथ में मिल कर गाते हैं और बोझ हट जाता है. हरेक व्यक्ति को जीवन में कुछ समय निकालना चाहिए, जीवन के सत्य को जानने के लिए. यही सत्संग है. सत्य के संग रहना सत्संग है. जीवन में सत्य का संग करते चलो. कुछ ही पल काफी हैं शांति, स्थिरता और ताकत लाने के लिए. कई लोगों के मन में ऐसी धारणा होती है कि यह उबाऊ होगा.
उन्हें लगता है कि ज्ञान बड़ा गंभीर होता है. मैं कहता हूं, ज्ञान की तरफ जाओ तो मजा तुम्हारा पीछा करेगा. पर, अगर मजे का पीछा करोगे तो दुख ही हाथ लगेगा. आत्मज्ञान वह चीज है जो तुम्हें फिर से बच्चे जैसी मस्ती देता है. यह भीतर से उत्साह लाता है. यह महसूस करो कि सब ठीक है. तब तुम भीतर जाकर ध्यान कर पाओगे. ध्यान में उतरते वक्त यह रवैया अपनाना जरूरी है कि सब कुछ ठीक है. सब कुशल-मंगल है.
श्रीश्री रविशंकर