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सुख समृद्धि के लिए ईशान कोण महत्वपूर्ण

रेणु शर्मा रांची : ऑनलाइन वास्तु काउंसलिंग का आयोजन शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय में किया गया. वास्तुविद रेणु शर्मा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) का बहुत ही महत्व होता है. इस कोण को सदैव पवित्र व साफ-सुथरा रखना चाहिए. भवन के सामने इस कोण में […]

रेणु शर्मा
रांची : ऑनलाइन वास्तु काउंसलिंग का आयोजन शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय में किया गया. वास्तुविद रेणु शर्मा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) का बहुत ही महत्व होता है. इस कोण को सदैव पवित्र व साफ-सुथरा रखना चाहिए. भवन के सामने इस कोण में बिजली का खंभा, बीम या पेड़ आदि नहीं होने चाहिए. जो व्यक्ति फ्लैट में रहते हों, उन्हें अपने जल की व्यवस्था घर के ईशान कोण में करनी चाहिए.
तांबे के पात्र में जल, मछली घर, आर्टिफिशयल झरना आदि को इस कोण में रखना चाहिए. ईशान कोण से प्रवेश करनेवाली सौर ऊर्जा भवन में सकारात्मक प्रभाव देती है. इसलिए इस कोण को खुला रखना चाहिए. भवन में पूजा कक्ष का निर्माण भी इस दिशा में होना चाहिए. इस कोण में रसोई घर, शौचालय व सीढ़ियों का निर्माण भी नहीं करना चाहिए. तुलसी-चबूतरा का निर्माण इस दिशा की ओर करना चाहिए. व्यावसायिक स्थानों पर इस दिशा को गंदा नहीं रखना चाहिए.
यह व्यापार में बाधा उत्पन्न करता है. यदि किसी कारणवश ईशान-कोण बंद हो, तो वैसे स्थलों में रहने वाले व्यक्ति तनाव व रोगग्रस्त होते हैं. भवन का मुख्य शयन कक्ष भी इस दिशा में नहीं बनाना चाहिए. कार्यालय या व्यापार के स्थान में प्रमुख अधिकारी या प्रबंधक को इस दिशा में नहीं बैठना चाहिए. भवन में इस भाग को ऊंचा नहीं बनाना चाहिए. यदि यह भाग ऊंचा होगा, तो सुख-समृद्धि में व्यवधान आता है. कांटेदार वृक्षों को भी ईशान कोण में नहीं रखना चाहिए.

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