27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पितृश्राप के कारण आती है संतान सुख में बाधा

रांची : प्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को आयोजित ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग में ज्योतिषि अजय मिश्रा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि अगर कुंडली में पितृश्राप हो, तो उसका तुरत निवारण करना चाहिए. अभी पितृपक्ष आनेवाला है. ऐसे जातकों को पितृश्राप से मुक्ति पाने के लिए गया में जाकर श्राद्ध कर्म […]

रांची : प्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को आयोजित ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग में ज्योतिषि अजय मिश्रा ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि अगर कुंडली में पितृश्राप हो, तो उसका तुरत निवारण करना चाहिए. अभी पितृपक्ष आनेवाला है. ऐसे जातकों को पितृश्राप से मुक्ति पाने के लिए गया में जाकर श्राद्ध कर्म करना चाहिए. गौ दान या कन्या दान भी करना चाहिए.

अगर गया में जाना संभव न हो, तो किसी भी तीर्थ स्थान में श्राद्ध कर सकते हैं. इसके अलावे नारायणबली या नागबली को पितृश्राप का परिहार रूप माना गया है. उन्होंने बताया कि जिस जातक की कुंडली में सूर्य नीच के हों या वक्रीय हों, तो जातक को सरकारी नौकरी, रोजगार के क्षेत्र में समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे जातकों को सूर्य की शांति के लिए प्रत्येक माह सत्यनारायणजी की पूजा या सूर्य मंत्र का जाप या सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि बहुत सारे जातकों की कुंडली में कई प्रकार के दोष जैसे मांगलिक दोष, शुक्र का नीच होना, काल सर्प योग के होने से विवाह में कठिनाई होती है. इस स्थिति में जातक को सप्तमेष संबंधित ग्रह का जप अनुष्ठान या रत्न धारण करने से लाभ होता है. उनको दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना चाहिए. कुंडली में अगर वृहस्पति नीच के हों या वक्रीय हों, तो संतान सुख में बाधा, शिक्षा के क्षेत्र में रुकावट, धनोपार्जन में समस्या आती है. इसके लिए विष्णुसहस्र का पाठ प्रत्येक गुरुवार को करना चाहिए. प्रत्येक नाम के साथ तुलसी दल से भगवान विष्णु को समर्पण करना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें