महाअष्टमी पर संधि पूजा का विशेष महत्व है, जो नवमी को भी चलती है. संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण या काल कहते हैं, जो पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है. मान्यता है कि इसी काल में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था.
इस दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है. उनकी पूजा से इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट मिट जाते हैं. विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं. माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी. पूजा के लिए मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. उन्हें श्वेत या पीले फूल अर्पित करें.
उनके मन्त्रों का जाप करें. मां को नारियल का भोग लगाएं तथा इसे सिर पर से फिरा कर बहते जल में प्रवाहित करें. नवरात्र में किसी का दिल न दुखाएं, भूखे को खाना खिलाएं तथा सात्विक जीवन अपनाएं.