झारखंड राज्य में हमारे पुरखों को रहते हुए 50-60 वर्ष बीत गये और हमारी शिक्षा भी झारखंड के ही विद्यालय-महाविद्यालय से हुई. पर हमारे राज्य के प्रखंड से न तो नियोजन हेतु आवासीय प्रमाण-पत्र बनते हैं और न ही जाति प्रमाण-पत्र के हकदार छात्रों के जाति प्रमाण पत्र निर्गत किये जाते हैं. परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ रही है और बेरोजगार युवा मानसिक दंश झेल रहे हैं.
युवा वर्ग में इस बात की खुशी थी कि राज्य सरकार का नेतृत्व युवा हाथों में है, जहां निश्चित रूप से युवा तथा छात्रों को विशेष सुविधाएं मिलेगी, पर आज युवा ही ज्यादा उपेक्षित हैं. नियोजनों के लिए जरूरी प्रमाण पत्रों का निर्गत नहीं होना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. अगर इस विषय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो युवा और छात्र प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक आंदोलन को बाध्य होंगे.
पंकज कुमार, बेरमो, बोकारो