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छात्र और नैतिकता

सीबीएसइ के पहली से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में नैतिकशास्त्र को अनिवार्य विषय बनाने की मांग याचिका स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है. समाज में तेजी से ‘नैतिकता’ का गिरना गंभीर सवाल है, इसलिए शिक्षण विभाग में प्राथमिक माध्यम से ही प्रयास शुरू करने की जरूरत है. नैतिकता का किताबी ज्ञान […]

सीबीएसइ के पहली से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में नैतिकशास्त्र को अनिवार्य विषय बनाने की मांग याचिका स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है. समाज में तेजी से ‘नैतिकता’ का गिरना गंभीर सवाल है, इसलिए शिक्षण विभाग में प्राथमिक माध्यम से ही प्रयास शुरू करने की जरूरत है.
नैतिकता का किताबी ज्ञान उपयोगी नहीं. इसके द्वारा उस विषय की केवल जानकारी मिल पायेगी, लेकिन जीवन जीते हुए अपनी विचार प्रक्रिया कैसी होनी चहिए? उचित-अनुचित ऐसा भेद कैसे कर सकते हैं? अपना व्यक्तित्व कैसे होना चाहिए? ऐसे विभिन्न मुद्दों पर छात्रों से हमेशा चर्चात्मक बातचीत जरूरी है. छात्र के साथ माता-पिता, छात्र-शिक्षक व शिक्षक के साथ माता-पिता के बीच सकारात्मक बातचीत होनी चाहिए.
अभी के बढ़ते वैज्ञानिक युग में बच्चों की शिक्षा पर मुक्तहस्त खर्च करना जितना ज्यादा जरूरी समझा जाता है, उतना ही उस पर संस्कार करने को महत्व दिया जाना जरूरी है. शिक्षा से डिग्री मिलेगी और बाद में नौकरी, पर संस्कारों की डिग्री कहीं नहीं मिलती. अत: छात्रों पर ध्यान देना जरूरी है.
मनीषा चंदराणा, ई-मेल से

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