19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संघर्ष का एक मोड़

मणिपुर की इरोम शर्मिला चानू ने अगले महीने की नौ तारीख को अपना अनशन खत्म करने का एलान किया है. राज्य में लागू आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफ्स्पा) को हटाने की मांग को लेकर इरोम नवंबर, 2000 से भूख हड़ताल पर हैं. यह कानून मणिपुर समेत देश के अनेक हिस्सों में अब भी जारी […]

मणिपुर की इरोम शर्मिला चानू ने अगले महीने की नौ तारीख को अपना अनशन खत्म करने का एलान किया है. राज्य में लागू आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफ्स्पा) को हटाने की मांग को लेकर इरोम नवंबर, 2000 से भूख हड़ताल पर हैं. यह कानून मणिपुर समेत देश के अनेक हिस्सों में अब भी जारी है तथा इरोम के ऐतिहासिक संघर्ष के प्रति केंद्र और राज्य सरकारों की बेरुखी भी कायम है.
ऐसे में उन्हें अनशन पर डटे रहना ठीक नहीं लगा और अब वे चुनावी राजनीति के जरिये अपनी लड़ाई लड़ेंगी. किसी कोशिश की कामयाबी या नाकामयाबी को नतीजों के आधार पर देखने को आदी हो चुके मौजूदा दौर में हममें से कुछ लोगों को लग सकता है कि इरोम का संघर्ष असफल रहा है.
लेकिन, जब हम अपनी नजर का दायरा बढ़ा कर देखते हैं, तो पाते हैं कि सशस्त्र बलों को मिले विवादास्पद विशेषाधिकार के खिलाफ सड़क, संसद और सर्वोच्च न्यायालय तक बहुत-कुछ कहा, सुना और बोला जा चुका है. हिंसक और अराजक असंतोष तथा सरकारी दमन के हमारे समय में इरोम ने शांतिपूर्ण विरोध की राह पर चल कर बड़ी उम्मीद दी है.
इस संघर्ष में उनके समर्थक और उनकी मांग से सहानुभूति रखनेवाले लोग हताशा में हिंसा का रास्ता भी चुन सकते थे, पर इरोम के साहसी नैतिक नेतृत्व ने ऐसा नहीं होने दिया. आंदोलनों में ऐसे मौके आते हैं, जब कुछ देर ठहरना, पीछे हटना या रास्ता बदलना जरूरी हो जाता है.
ऐसे निर्णय करने का अधिकार भी आंदोलनकारियों को ही होता है. सोलह साल का समय एक बड़ा अंतराल है. लोकतांत्रिक संघर्षों की सूची में इरोम का अनशन एक मिसाल के रूप में हमेशा उल्लिखित होगा. अजीब बात है कि सरकारें आंदोलनकारियों से हमेशा शांतिपूर्ण तौर-तरीके अपनाने की अपील करती रहती हैं, पर ऐसे आंदोलनों के प्रति उनका रवैया बहुत उपेक्षापूर्ण होता है. इस उपेक्षा के कारण देश के कई हिस्सों में आंदोलनों का चरित्र हिंसक और अराजक बन गया है.
आशा है कि अनशन समाप्त होने के बाद अब सरकारें इरोम शर्मिला और उनके आंदोलन के साथ सकारात्मक व्यवहार करेंगी, ताकि असंतोष का लोकतांत्रिक समाधान निकाला जा सके और हिंसा का दामन थामे अन्य विरोधों को संवैधानिक रास्ते पर आने के लिए प्रेरित किया जा सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें