अब फिजियोथेरैपी में दाखिला लेने वालों को रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, नारद भक्ति सूत्र इत्यादि पढ़ना पड़ेगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बारे में यूजीसी को लिखा है, जिसमें यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि फिजियोथेरैपी में दाखिला लेनेवाले विद्यार्थी अगर योग में पारंगत हों, तो उन्हें प्राथमिकता दी जाये.
इधर, कहीं पढ़ने को मिला कि आगामी 17 जुलाई को नयी दिल्ली में आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल जी इस वर्ष लोक सेवा परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों को संबोधित करेंगे और उन्हें समझायेंगे कि अपने जीवन एवं कार्यों में भारतीय मूल्यों और राष्ट्रवादी विचारों को कैसे आत्मसात करना है. हिंदूवादी सोच एवं मानसिकता किस कदर देश में थोपी जा रही है, इसका यह प्रमाण है. सांस्कृतिक विविधताओं वाले इस देश में एक खास विचार को बलात लागू कराना, कहां तक उचित है?