शुक्रवार को आयोग ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि अब मतदान की तारीख बाद में तय की जायेगी. आयोग को इन दो विधानसभाओं में राज्य की दो प्रमुख पार्टियों -सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और मुख्य विपक्षी दल द्रमुक- के द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्ट तौर-तरीके अपनाने के सबूत मिले हैं.
चुनाव प्रक्रिया के दौरान इन क्षेत्रों से 7.12 करोड़ नकदी, 33 किलो से अधिक चांदी और 429.24 लीटर शराब बरामद की गयी थी. इसके अलावा 15 मई तक तंजावुर विधानसभा क्षेत्र में 75 लाख से अधिक नकदी और दो हजार लीटर से ज्यादा शराब भी पकड़ी जा चुकी है. दोनों पार्टियों से दो लाख साड़ी और धोती भी आयोग ने जब्त किया है. आयोग के अनुसार, अन्नाद्रमुक के उम्मीदवारों ने मंदिरों के मरम्मत के नाम पर गावों और रिहायशी इलाकों में पांच से पचास लाख रुपये बांटे हैं. चुनाव कराने के अपने अधिकार को रेखांकित करते हुए आयोग ने तमिलनाडु के राज्यपाल से इन सीटों पर चुनाव कराने के निर्देश को वापस लेने को भी कहा है. तमिलनाडु समेत पूरे देश में चुनावों के दौरान धन का दुरुपयोग आम प्रचलन बन गया है. आयोग की चेतावनी को अनसुना कर प्रभावशाली उम्मीदवारों और पार्टियों द्वारा आचार-संहिता और नियमों की धज्जियां उड़ायी जाती हैं. दो सीटों पर चुनाव रद्द कर आयोग ने ऐसी प्रवृत्ति के विरुद्ध एक ठोस संदेश दिया है.
इससे यह संकेत भी मिलता है कि आयोग अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए समुचित ढंग से चुनाव कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है. आयोग के इस रुख के प्रति जनता और राजनीतिक दलों को सकारात्मक और सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए. साफ-सुथरे चुनाव ही हमारे लोकतंत्र को मजबूती दे सकते हैं. चुनावी कदाचार संस्थागत भ्रष्टाचार का आधार है और इसकी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने जरूरी हैं. चुनाव आयोग का ताजा फैसला इसी दिशा में एक जरूरी कदम है. साथ ही, यह फैसला देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए आत्ममंथन और आत्मसुधार का एक महत्वपूर्ण मौका है.