Advertisement
प्रतिभाएं तो झारखंड-बिहार में हैं ही
अनुज कुमार सिन्हा वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर सिविल सर्विस परीक्षा का रिजल्ट निकला. झारखंड-बिहार के छात्राें ने फिर अपना जलवा दिखाया. टॉप साै में 10 छात्र-छात्राएं. बड़ी उपलब्धि है. ठीक है टॉपर (नंबर वन पर) झारखंड-बिहार के नहीं हैं, पर टॉप टेन में दाे-दाे छात्र झारखंड-बिहार के हैं यानी दस में दाे (20 फीसद). करण […]
अनुज कुमार सिन्हा
वरिष्ठ संपादक
प्रभात खबर
सिविल सर्विस परीक्षा का रिजल्ट निकला. झारखंड-बिहार के छात्राें ने फिर अपना जलवा दिखाया. टॉप साै में 10 छात्र-छात्राएं. बड़ी उपलब्धि है. ठीक है टॉपर (नंबर वन पर) झारखंड-बिहार के नहीं हैं, पर टॉप टेन में दाे-दाे छात्र झारखंड-बिहार के हैं यानी दस में दाे (20 फीसद). करण (9वां रैंक, झारखंड में पढ़े, गया पैतृक शहर) आैर अनुपम शुक्ला (10वां रैंक, निवासी पटना) टॉप टेन में हैं.
छाेटे-छाेटे शहराें में ये जन्मे, पढ़े लिखे. कई ने ताे अभाव में पढ़ाई की आैर सफल हुए. यह रिजल्ट साबित करता है कि झारखंड-बिहार में प्रतिभाआें की कमी नहीं है. अगर उन्हें आैर अवसर मिले, साधन मिले ताे सिविल सर्विस की परीक्षा में ये छात्र दिल्ली, मुंबई आैर दक्षिण भारत के छात्राें काे बहुत पीछे छाेड़ सकते हैं. अभी स्थिति यह है कि बेहतर काेचिंग के लिए झारखंड-बिहार के छात्राें काे दिल्ली जाना पड़ता है.
जिनके पास साधन हैं, वे काेचिंग से निखर कर बेहतर कर लेते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐेसे छात्र हैं, जाे साधन के अभाव में दिल्ली नहीं जा सकते. अगर इन्हें दिल्ली स्तर की काेचिंग झारखंड-बिहार में मिलने लगे, ताे झारखंड-बिहार के यही छात्र चमत्कार करेंगे.
सफल छात्रों में कई ऐसे हैं, जिन्हाेंने काेचिंग के अलावा दिल्ली या अन्य महानगराें के बेहतरीन कॉलेजाें में पढ़ाई की. वहां के माहाैल ने उन्हें आैर बदल दिया. काश, ऐसे बेहतरीन संस्थान झारखंड-बिहार में हाेते (कुछ हैं भी), ताे यह माैका अन्य छात्राें काे भी मिलता. प्रतिभाएं दब नहीं जातीं.
अब आवश्यकता है इन दाेनाें राज्याें में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने की, बेहतरीन शिक्षक लाने की, बेहतर काेचिंग की व्यवस्था करने की. अगर सरकार बेहतरीन लाइब्रेरी की व्यवस्था करे (खास कर झारखंड में लाइब्रेरी दम ताेड़ रही है, किताबाें आैर स्तरीय पत्र-पत्रिकाआें की कमी है), ताे यहां के बच्चे भी अपने राज्य का नाम रोशन कर सकते हैं.
झारखंड आैर बिहार दाे ऐसे राज्य हैं, जिन्हें देश बहुत महत्व नहीं देता. दूसरे राज्य आज भी इन राज्याें के छात्राें काे इस रूप में देखता है, मानाे यहां के छात्र कुछ नहीं कर सकते. वास्तविकता इससे अलग है. कुछ साल पहले एक सर्वे हुआ था. देश के कुल 4,443 आइएएस में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर बिहार (संख्या 419, 9.4 फीसदी) था.
बिहार के बाद था आंध्र प्रदेश, दिल्ली या तमिलनाडु. यह झारखंड-बिहार की ताकत काे बताता है. अभी भी स्थिति बहुत बदली नहीं है. झारखंड-बिहार ने देश काे एक से एक ब्यूराेक्रेट्स दिये हैं. यह काेई आज की बात नहीं है. साल 1987 या इसके बाद के सिविल सर्विस परीक्षा में पांच बार झारखंड-बिहार के लड़काें ने पहला स्थान पाया है.
1987 में बिहार के अमीर सुभानी ने देश में पहला स्थान पाया था. अभी वे बिहार में गृह सचिव के पद पर हैं. 1988 में प्रशांत कुमार, 1996 में सुनील कुमार वर्णवाल, 1997 में देवेश कुमार आैर 2001 में आलाेक रंजन झा ने देश भर में पहला स्थान पाया था. ये सभी झारखंड-बिहार के ही हैं. उदाहरण ताे भरे पड़े हैं. बीपी सिंह (बेगूसराय) आैर आरके सिंह (अभी आरा के सांसद) ताे देश के गृहसचिव भी बने. केंद्र में अनेक विभागाें के सचिव ताे झारखंड-बिहार के रहे हैं.
अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जुटे एसपीजी के प्रमुख अरुण कुमार सिन्हा हजारीबाग के ही हैं. सीबीआइ के कई निदेशक (सबसे बड़ा पद) भी इसी क्षेत्र के रहे हैं. आरबीआइ के गवर्नर रहे लक्ष्मी कांत झा (भागलपुर) आैर एटॉर्नी जनरल एलएन सिन्हा (गया) बिहार के ही थे.
सिर्फ ब्यूराेक्रेट्स की बात नहीं, आइआइटी की परीक्षा में इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में छात्र चुने जाते हैं.कुछ साल पहले देश में आइआइटी का देश टॉपर अभिनव भी झारखंड (जमशेदपुर) का ही था. देश के कई बड़े पीएसयू के शीर्ष पद पर बैठे अधिकारी भी झारखंड-बिहार के ही हैं. यानी झारखंड-बिहार के लाेगाें के खून में प्रतिभा है. आवश्यकता है इसे पहचान कर समय से उन्हें तराशने की. यह काम अभिभावक, शिक्षक आैर सरकार काे करना हाेगा. झारखंड-बिहार के छात्राेें में मेहनत करने की अद्भुत क्षमता है.
वे हार नहीं मानते. यही कारण है कि अब झारखंड-बिहार के छाेटे-छाेटे गांवाें से भी प्रतिभाएं निकल रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर, आइएएस बन रहे हैं. किसी एक गांव से एक बच्चा आइएएस बनता है, ताे आसपास के गांवाें में दूसरे छात्राें का मनाेबल बढ़ता है.
उनमें भी यह ताकत आती है कि हम भी कुछ कर सकते हैं. इसी जज्बे काे आगे बढ़ाने की जरूरत है. अगर छात्र के साथ-साथ अभिभावक, शिक्षक आैर सरकार थाेड़ा सतर्क हाे जायें. थाेड़े से प्रयास से ये छात्र दुनिया बदलने की क्षमता रखते हैं. इन बच्चाें-छात्राें की प्रतिभाआें काे आगे बढ़ाने-निखारने की हम सभी की सामूहिक जिम्मेवारी है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement