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बैंकाक में रविवार को भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनातनी में सुधार का संकेत माना जा सकता है. पेरिस में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बातचीत के बाद दोनों तरफ से नरमी की उम्मीद बंधी थी. बैंकाक बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा […]

बैंकाक में रविवार को भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनातनी में सुधार का संकेत माना जा सकता है. पेरिस में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बातचीत के बाद दोनों तरफ से नरमी की उम्मीद बंधी थी. बैंकाक बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि बातचीत में शांति एवं सुरक्षा, आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और नियंत्रण रेखा पर शांति बनाये रखने समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई.
इस बैठक से एक संदेश तो स्पष्ट है कि दोनों देशों ने अपने रुख में लचीलापन दिखाया है, जिसके अभाव में कई महीनों से उच्चस्तरीय वार्ताएं नहीं हो पा रही थीं. भारत बातचीत में आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता देना चाहता था और पाकिस्तान कश्मीर के मसले को भी एजेंडे में रखने पर अड़ा हुआ था. बैंकाक में दोनों विषयों पर बातचीत हुई. पिछली बार नयी दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त द्वारा हुर्रियत नेताओं को आमंत्रित करने के कारण भारत ने बातचीत रद्द कर दिया था. बैंकाक में पाकिस्तानी पक्ष ऐसा नहीं कर सका. मौजूदा पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ सेनाध्यक्ष राहील शरीफ के करीबी हैं और पाकिस्तान की विदेश नीति में सेना की भूमिका को देखते हुए यह भारत के लिए एक सकारात्मक कारक हो सकता है कि उसकी बातचीत सीधे सेना के प्रतिनिधि से हो रही है.
माना जा सकता है कि दोनों देशों की राजनीति और मीडिया के हंगामे से दूर एक तीसरे देश में सुरक्षा सलाहकारों और विदेश सचिवों ने अहम मुद्दों पर गंभीर चर्चा की होगी. मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अफगानिस्तान पर एशियाई देशों की बैठक के सिलसिले में पाकिस्तान में होंगी. मोदी सरकार के किसी भी मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा है. जानकारों का कहना है कि बैंकाक वार्ता स्वराज के दौरे को ठोस आधार दे सकती है और अब इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले वर्ष सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान जा सकते हैं.
कश्मीर में अलगाववाद को पाकिस्तानी शह, आतंकियों को संरक्षण और पाक सेना द्वारा युद्धविराम का उल्लंघन जैसे गंभीर मुद्दों के साथ अफगानिस्तान में स्थिरता की कोशिशों पर भारत और पाकिस्तान के रवैये में अंतर है. अब जब दोनों देशों ने कूटनीतिक प्रयासों के महत्व को फिर से समझते हुए परस्पर संवाद स्थापित किया है, तो आशा की जानी चाहिए कि दोनों पक्ष परिपक्वता और उत्तरदायित्व के साथ आपसी तनाव को कम करने का प्रयास जारी रखेंगे.

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