मनुष्य की तरह संसार के अन्य प्राणी का जीवन भी पेड़-पौधे पर ही निर्भर है. इनकी वजह से हमें हवा, पानी और भोजन मिलता है. इसके बावजूद यह बड़ी चिंता की बात है कि देश में शििक्षत से लेकर अज्ञानी लोग भी वनों की कटाई करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. देश में वन क्षेत्र में लगातार कमी होने के कारण यहां के किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ रही है.
सोचनेवाली बात यह है कि जब यहां पेड़-पौधे ही नहीं होंगे, तो देश का समग्र विकास कैसे होगा? हम अपने आसपास लगातार कंक्रीट की इमारत बनते हुए देखते हैं. इन इमारतों के जाल में वन क्षेत्र विलुप्त होते जा रहे हैं. इसमें कमी होने के साथ ही पर्यावरण को संतुलित करनेवाले वन्य प्राणी और अन्य जीव जंतु भी घट रहे हैं.
हालांकि, पर्यावरण दिवस पर साल में एक दिन वनों की रक्षा और उसकी वृद्धि की बात तो करते हैं, लेकिन पूरे साल बाद के दिनों में हम वनों की रक्षा के प्रति सजग नहीं रहते. इसका सबसे बड़ा कारण जनसमुदाय का वनों के महत्व से अनजान रहना है. यदि आज देश का हर आदमी वनों अथवा पेड़-पौधों के महत्व को समझ रहा होता, तो आज यह नौबत ही नहीं आती. कई बार तो इसके महत्व को समझनेवाले भी जानबूझकर पेड़ों की कटाई करते हैं. वैसे जानकारों और अनजान लोगों को वनों के महत्व को समझना जरूरी है. इसके साथ ही लोगों को यह समझना भी जरूरी है कि वन के बिना धरती पर प्राणियों का जीवन बचना संभव ही नहीं है. हम सभी को वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा के िलए एकजुट होकर काम करना होगा. मानव जीवन बचाना है तो पेड़-पाैधे बचाने ही होंगे. पौधे लगाने की आदत डालनी होगी.
संघर्ष यादव गोलू, कोलकाता