मेरे विचार से किसी गलत या अनैतिक कार्य के लिए रिश्वत दी जाती है, तो रिश्वत देने और लेने वाले, दोनों बराबर के दोषी हैं. किंतु जब किसी कार्य को समय पर करवाने के लिए रिश्वत दी जाती है, तब देने वाले की एक प्रकार की मजबूरी होती है. उसका कोई आवश्यक काम रुका होता है.
इसमें लेनेवाला दोषी है, क्योंकि वह सही तरीके से समय पर काम करने के लिए पैसा मांगता है. भ्रष्टाचार केवल धन का अनैतिक लेन–देन नहीं, अपना काम ठीक से नहीं करना भी है. भ्रष्टाचार से कमाये गये धन का इस्तेमाल करनेवाले भी दोषी हैं. परिवारवालों की विलासिता या उसकी मजबूरी के लिए भी लोग रिश्वत लेते हैं.
अगर परिवारवाले रिश्वत लेने से रोकें, तो भ्रष्टाचार जड़ से मिट सकता है. हम जानते हैं कि दहेज लेना कानूनन अपराध है, लेकिन जो चोरी–छिपे दहेज लेते हैं या महंगी शादियां करते हैं, वे भी तो भ्रष्ट कामों को बढ़ावा देते हैं.
राजू, लोहरदगा