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नारी शक्ति है या भोग की वस्तु?

नवरात्र के इस पावन उत्सव के समय ही हमें याद आती है नारी शक्ति की. हमारा समाज भले ही पुरुष प्रधान रहा हो, लेकिन शुरू से ही नारी शक्ति को पूजा जाता रहा है, कभी मां शारदे के रूप में तो कभी शक्ति के रूप में. आज परिदृश्य बदल गया है और लोग नारी को […]

नवरात्र के इस पावन उत्सव के समय ही हमें याद आती है नारी शक्ति की. हमारा समाज भले ही पुरुष प्रधान रहा हो, लेकिन शुरू से ही नारी शक्ति को पूजा जाता रहा है, कभी मां शारदे के रूप में तो कभी शक्ति के रूप में. आज परिदृश्य बदल गया है और लोग नारी को शक्ति नहीं बल्कि भोग-विलास की वस्तु समझ रहे हैं.

तभी तो समाज में यौन शोषण, देह व्यापार, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यदि की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. आज महिलाएं सभी जगह शोषित हो रही हैं. कार्यस्थल हो या फिर यातायात, आपको पुरुष मानसिकता हर जगह हावी दिखती है. बात करें शिक्षा की, तो यहां नैतिकता का ह्रास ऐसे ही नहीं हुआ है. आज शिक्षा एक बाजार बन गया है और इस बाजार में सब कुछ बिकने लगा है. सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बना रखा है लेकिन वास्तव में ये अब तक धरातल तक आये ही नहीं हैं.

मैंने अपने स्कूल में देखा है कि कैसे महिला शिक्षिकाओं को प्रताड़ित किया जाता है. मैंने देखा है कि कैसे एक पुरुष प्रिंसिपल बिना सही कपड़े पहने स्कूल में जाते हैं, महिलाओं के साथ कैसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं. उन्हें ऑफिस कर्मचारी के रूप में महिला कर्मी ही चाहिए होती हैं. ऐसे प्रिंसिपल से आप कैसी नैतिकता की उम्मीद कर सकते हैं.

मेरी कुछ मजबूरियां हैं, इसलिए उनका नाम नहीं ले सकता. मैं अभी 10वीं का छात्र हूं और मैंने अपनी महिला क्लास टीचर को रोते हुए देखा है. हमारे स्कूल में विशाखा गाइडलाइन्स की धज्जियां हर रोज उड़ायी जाती हैं. हमारे देश में एक तरफ महिलाओं को आरक्षण देने की बात होती है ताकि वे सम्मान के साथ अपना कार्य कर सकें तो दूसरी और शोषण़ क्या यह वही भारत है, जहां नारी शक्ति की पूजा होती है?
Àयोगेश कुमार, ई-मेल से

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