बिजली किसी क्षेत्र के विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि अंधेरे में विकास के सपने देखना नामुमकिन है. झारखंड में प्रयास तो बहुत हुए, मगर विकास न हो सका. विभाग द्वारा किये जानेवाले अधुरे प्रयासों में से एक है
‘सेल्फ लोड डिक्लरेशन’. विद्युत भार का सर्वे घर-घर जा कर अथवा नये कनेक्शन पूर्व भी हो सकता है, तो फिर ‘सेल्फ डिक्लरेशन’ का इंतजार क्यों होता है? बदलती जीवन शैली को ध्यान में रख कर सरकार न्यूनतम औसत विद्युत भार तय कर ही सकती है.
विद्युत भार का आकलन हर हाल में अनुमानित होगा, जिसमें हमेशा ही उतार-चढ़ाव की गुंजाइश होती है. आखिर उपभोक्ता विद्युत भार की जानकारी देने में क्यों रुचि दिखायेगा? ग्राहकों को तो उनके द्वारा दी जानेवाली बिजली की कीमत का पूरा लाभ मिलना चाहिए.
एमके मिश्र, रांची