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अब लोग झांसे में आने वाले नहीं

झारखंड मुक्ति मोरचा ने अपने महाधिवेशन में बृहत् झारखंड के लिए फिर से आंदोलन चलाने का फैसला किया है. 15 नवंबर 2000 को झारखंड बनने से पहले, झामुमो समेत राज्य के हर दल/संगठन ने बृहत् झारखंड के लिए ही आंदोलन चलाया था, लेकिन मिला सिर्फ बिहार का हिस्सा. मांग थी कि बिहार के अलावा ओड़िशा, […]

झारखंड मुक्ति मोरचा ने अपने महाधिवेशन में बृहत् झारखंड के लिए फिर से आंदोलन चलाने का फैसला किया है. 15 नवंबर 2000 को झारखंड बनने से पहले, झामुमो समेत राज्य के हर दल/संगठन ने बृहत् झारखंड के लिए ही आंदोलन चलाया था, लेकिन मिला सिर्फ बिहार का हिस्सा. मांग थी कि बिहार के अलावा ओड़िशा, बंगाल और मध्यप्रदेश के भी कुछ इलाके को मिला कर झारखंड बनाने की.

बिहार के अलावा कोई भी राज्य इसके लिए तैयार नहीं हुआ. आंदोलन के अंतिम वर्षो में आंदोलनकारियों ने मान लिया था कि चार राज्यों को काट कर झारखंड बनाना संभव नहीं है, इसलिए सिर्फ बिहार के हिस्से को स्वीकार कर लिया जाये. इस प्रकार राज्य बन गया. 14 सालों में झारखंड में जिस तरह का शासन हुआ, झारखंड की जो दुर्गति हुई, उसके बाद पड़ोस के दूसरे राज्यों के हिस्से झारखंड में मिलना क्यों चाहेंगे? राज्य बनने के बाद आदिवासियों की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ. रोजगार नहीं मिले. पलायन जारी रहा. जो झामुमो आज बृहत् झारखंड की बात कर रहा है, वह भी शासन में रहा. शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन दोनों मुख्यमंत्री रहे, लेकिन आदिवासियों की स्थिति कहां बदली? स्थानीय नीति तक नहीं बना सके.

14 सालों में शासन खराब रहा. सिस्टम फेल रहा. इस दौरान एक लाख करोड़ से ज्यादा का पैसा सरेंडर करना पड़ा. ढंग से योजनाएं बनतीं, उन पर ये पैसे खर्च होते तो निश्चित तौर पर लोगों का जीवन सुधरता. आज अगर झारखंड विकास कर गया होता, तो बंगाल, ओड़िशा के सीमावर्ती इलाकों के आदिवासियों को लगता कि झारखंड में शामिल होने से फायदा होगा. यहां का हाल देख खुद हेमंत ने कहा था कि इससे बेहतर तो बिहार के साथ रहना था. जब यह स्थिति है तो बृहत् झारखंड के नाम पर कोई आगे नहीं आनेवाला. राजनीतिज्ञों ने लोगों को खूब बेवकूफ बनाया है. अब लोग इसके लिए फिर तैयार नहीं होंगे. बेहतर होगा कि झारखंड में जो कमियां हैं, उन्हें ठीक किया जाये. जिस मकसद से राज्य बनाया बनाया गया था, उसे पूरा किया जाये. लोगों को रोजगार मिले, उनका जीवन स्तर सुधरे, वे खुशहाल रहें, यही तो सपना था. सब मिल कर इसी सपने को पूरा करें, तभी राज्य के लोगों का भला होगा.

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