17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रंग-रूप के पारखी हमारे माननीय

विश्वत सेन प्रभात खबर, रांची देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी पंचायत है संसद भवन. देश की दशा-दिशा तय करनेवाली इस सबसे बड़ी संस्था को भारत के निवासी ‘देवस्थल’ समझ कर बाहर से ही दंडवत करते हैं. देश की जनता द्वारा चुन कर, जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च पर, जनप्रतिनिधि इस संसद भवन […]

विश्वत सेन

प्रभात खबर, रांची

देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी पंचायत है संसद भवन. देश की दशा-दिशा तय करनेवाली इस सबसे बड़ी संस्था को भारत के निवासी ‘देवस्थल’ समझ कर बाहर से ही दंडवत करते हैं. देश की जनता द्वारा चुन कर, जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च पर, जनप्रतिनिधि इस संसद भवन में भेजे जाते हैं.

जनता की समस्याओं का निवारण और उसके विकास की बात करने के लिए भेजे जाते हैं. लोकतंत्र का यही कायदा है. कायदा माने बाहरी पर्दा, जिसे हम कंबल भी कह सकते हैं.

काहे कि अक्सर लोग कंबल ओढ़ कर ही घी पीते हैं. कायदे से हट कर देखें, तो ये जो तथाकथित जनप्रतिनिधि हैं वे संसद में जाकर जनता के लिए कुछ नहीं करते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं कि वे कुछ करते ही नहीं. वे करते हैं, मगर अपने लिये. जैसे, यदि उन्हें शेरो-शायरी का शौक पूरा करना हो, तो वे सदन में खड़े होकर विरोधियों पर वार करने के लिए पूर्ण वातानुकूलित संसद भवन में शेर पढ़ते हैं. अगर उन्हें देश-विदेश का दौरा करना हो, तो वे जांच-पड़ताल और अध्ययन के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई से सरकारी दौरा करते हैं.

देश के आम आदमी के इलाज के लिए अस्पतालों में भी ठेला-ठेली, लेकिन हमारे ‘जनप्रतिनिधियों’ को फाइवस्टार होटल जैसे वेदांता टाइप अस्पतालों की सुविधा मिलती है. उससे भी काम नहीं चला, तो विदेशी अस्पतालों में इलाज होता है. खाने-पीने का भी संसद भवन में भव्य इंतजाम है. आम आदमी भले ही 50 रुपये में किसी तरह दाल-रोटी खा पा रहा हो, पर इतने में माननीय सांसद 12 व्यंजन की दावत उड़ाते हैं.

जब पेट गले तक भरा हो, तो भूमि अधिग्रहण, बीमा बिल की जगह इनसान का मन खुद-ब-खुद सौंदर्यशास्त्र पर केंद्रित हो जाता है. इसलिए उन पर संसद में महिलाओं के रंग-रूप और गुण-अवगुण पर छींटाकशी करने का नशा सवार है. नेताजी ने दो दिन पहले महिलाओं के रंग पर टिप्पणी कर दी. फिर क्या था, संसद के पुरुष सदस्यों की बांछें खिल गयीं और उन्होंने समर्थन-विरोध के नाम पर जम कर महिलाओं के रूप, गुण, अवगुण और रंग पर चर्चा की.

माननीय नेताजी ने पूरी संसद को ललकारते हुए, जनता के पैसों और समय की बर्बादी करते हुए, बहस कराने की चुनौती तक दे डाली. अड़े हुए हैं अपने बयान पर, एकदम गबरू जवान की तरह. हमने जो कह दिया, सो कह दिया. अपने बयान पर न माफी मांगूगा और न ही इसे वापस लूंगा. उनकी टिप्पणी को लेकर अनेक सदस्यों ने चटकारे ले-ले कर प्रहार किया. लेकिन नेताजी अकेले ही चट्टान की तरह कर्णभेदी वाक्य-बाणों के वार को सह रहे थे और सबसे ऊंची जुबान में प्रतिरोध भी जता रहे थे. एक महिला सदस्य जब उनका विरोध करने उठीं, तो नेताजी इस पर उतर आये कि ‘‘जानता हूं कि तुम कौन हो?’’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें