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प्रधानमंत्री के दौरे से जुड़ी उम्मीदें

हिंद महासागर क्षेत्र के तीन द्वीपीय देशों- सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका- की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच-दिवसीय यात्रा कई अर्थो में महत्वपूर्ण है. इन देशों के साथ भारत के लंबे आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, लेकिन बदलती वैश्विक और क्षेत्रीय कूटनीतिक और सामरिक परिदृश्य में पूर्ववर्ती संबंधों को नया आयाम देने की आवश्यकता […]

हिंद महासागर क्षेत्र के तीन द्वीपीय देशों- सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका- की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच-दिवसीय यात्रा कई अर्थो में महत्वपूर्ण है. इन देशों के साथ भारत के लंबे आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, लेकिन बदलती वैश्विक और क्षेत्रीय कूटनीतिक और सामरिक परिदृश्य में पूर्ववर्ती संबंधों को नया आयाम देने की आवश्यकता है.
मोदी विगत 33 वर्षो में सेशेल्स की और 28 वर्षो में श्रीलंका की यात्रा करनेवाले पहले प्रधानमंत्री हैं. श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना कुछ दिन पहले भारत आ चुके हैं और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मोदी के दौरे से पिछले कुछ वर्षो में दोनों देशों के संबंधों में आयी खटास को दूर किया जा सकेगा.
श्रीलंका में बढ़ता चीनी प्रभाव भारत के लिए परेशानी का कारण है और हाल ही में भारतीय मछुआरों को गोली मारने के श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के विवादित बयान से भी स्थिति की गंभीरता का संकेत मिलता है. पर, सिरीसेना और मोदी की पूर्ववर्ती बैठक काफी सकारात्मक रही थी और इस यात्रा से बेहतरी की अपेक्षा की जा सकती है. दोनों सरकारें नयी हैं और उनके पास नयी पहलों की गुंजाइश है. मोदी दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के साथ हरसंभव सहयोग और सहभागिता के अपने इरादे का इजहार बार-बार कर चुके हैं तथा इस दौरे को उसी सिलसिले की कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए. हिंद महासागर में भारत की मजबूत मौजूदगी न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से, बल्कि सामरिक महत्व और सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है. सेशेल्स में चीनी और अमेरिकी सेना की उपस्थिति चिंताजनक है.
श्रीलंका और मॉरीशस में भी चीनी नौसेना की गतिविधियां सर्वविदित हैं. मोदी के दौरे में सागरीय सुरक्षा के मुद्दे की प्रमुखता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस यात्रा में विदेश सचिव के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी प्रधानमंत्री के साथ हैं. काले धन के मामले में भी मॉरीशस और सेशेल्स भारत की मदद कर सकते हैं. सोमालियाई समुद्री डाकुओं का आतंक भी बातचीत का महत्वपूर्ण मसला है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस दौरे के परिणाम सभी पक्षों के लिए लाभप्रद होंगे तथा प्रधानमंत्री की यात्रा हिंद महासागर में भारतीय हितों के लिए ठोस आधार बनेगी.

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