संसद के बजट सत्र में ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा की अगुवाईवाली राजग सरकार हर काम में अपनी मनमानी करना चाह रही है. सवाल यह है कि इस तरह के गतिरोध से लोकतंत्र को क्या फायदा पहुंच रहा है? सरकार के पास भारी बहुमत है, लेकिन वह लोकतांत्रिक मर्यादाओं के निर्वाह से पीछे हटती प्रतीत होती है.
आखिर लोकसभा में विपक्ष की सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का उसने ओहदा दे दिया होता, तो यह न सिर्फ उसका एक रचनात्मक कदम होता, बल्कि शायद तब विपक्षी दल भी सरकार के प्रति सहृदय होते. लेकिन बहुमत के अहंकार में सरकार ने विपक्ष से टकराव मोल लिया. लोकतंत्र का तकाजा यही है कि संसद सही तरीके से चले और सत्ता पक्ष के प्रयासों और विपक्ष की आलोचनाओं, हस्तक्षेप व संशोधनों से बेहतर कानून बनें.
दीपक प्रकाश ओहदार, पतरातू