मोदी सरकार ने भी समाज को संचार तकनीक से सशक्त करने के लिए डिजिटल इंडिया का लक्ष्य निर्धारित किया है. मोबाइल पर मोदी के जोर के वाजिब कारण हैं. भारत 2017 तक स्मार्ट फोन के बाजार के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन जायेगा. पिछले वर्ष देश में जनवरी से सितंबर के बीच तकरीबन छह करोड़ स्मार्ट फोन की बिक्री हुई है. 2014 में ही अनेक राज्यों में इ-गवर्नेस से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किये गये, जिनमें संपत्ति का पंजीकरण, पेंशन पोर्टल, प्राथमिकी दर्ज कराना आदि प्रमुख हैं. इनके अलावा करों की अदायगी, रसोई गैस बुकिंग, बैंकिंग सेवाओं आदि में पहले से ही डिजिटल तकनीक का प्रयोग हो रहा है.
2013 से मोबाइल फोन और टैबलेट पर सूचनाएं और सेवाएं देने का केंद्र सरकार का ‘मोबाइलसेवा’ कार्यक्रम भी चल रहा है. लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कई सेवाओं तक पहुंच सुगम नहीं है और साइबर सुरक्षा के लिहाज से भी कमियां हैं. तकनीक के बदलाव के अनुरूप प्रशासन को भी सेवाओं की बेहतर करना चाहिए. ध्यान रहे, देश की 15 फीसदी आबादी तक ही इंटरनेट की पहुंच है, ऐसे में मोबाइल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. इसके अलावा, आज भी हर तिमाही लगभग पांच करोड़ साधारण फोन बिकते हैं. इ-गवर्नेस की सफलता के लिए सस्ते दर पर इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं की उपलब्धता पर भी ध्यान देने के जरूरत है. साथ ही, सरकार और संबंधित संस्थाओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आधुनिक सुविधाओं के अभाव में देश की बहुत बड़ी आबादी सेवाओं और सूचनाओं से वंचित न रह जाये.