पिछले दो–तीन वर्षों से देश में हर ओर यूनीक आइडेंटिटी कार्ड, आधार का नाम गूंज रहा है. इस यूनीक कार्ड को बनाने का काम भी काफी जोर–शोर से चल रहा है. और हो भी क्यों न! हर जगह इस विशिष्ट पहचान पत्र की जरूरत जो है. यानी कि इसकी उपयोगिता भी पूरी तरह से यूनीक होगी.
हर जगह इसको अनिवार्य करने की बात हो रही है. सरकार का यह कदम तो सराहनीय है, लेकिन क्या यह सच में विशिष्ट पहचान पत्र साबित हो पायेगा? यह सवाल मन में इसलिए आ रहा है क्योंकि मुझे आधार कार्ड का रजिस्ट्रेशन कराये दो साल हो चुके हैं, लेकिन मैं आज तक इस ‘विशिष्ट’ पहचान पत्र की शक्ल नहीं देख पाया हूं. इसका इंतजार करते मेरी आंखें पथराने लगी हैं, और पता नहीं कितने दिन इंतजार करना होगा. यह हाल सिर्फ मेरा नहीं, कई और लोगों का भी है.
आखिर क्या है इसका कारण? क्या इसका जवाब अधिकारी दे सकते हैं. कार्ड बननेके बाद नियम है कि डाकिये घर–घर जा कर इसे पहुंचायेंगे, लेकिन यह देखा जा रहा है कि डाकिये इन कार्डो को जहां–तहां छोड़ देते हैं. ऐसे में विशिष्ट कार्ड को विशिष्ट रूप से ही संचालित होना चाहिए.
।। पालुराम हेंब्रम ।।
(सलगाझारी)