33.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

काले धन जैसे नेता या नेता जैसा काला धन!

दुनिया में तरह-तरह के धन हैं. किसी के लिए स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, तो किसी के लिए भक्ति. लेकिन, आज कल एक नये तरह का धन खूब चर्चा में है. नाम है काला धन. पहले तो समझ ही नहीं आयी बात. धन भी काला होता है! मैंने सारे सिक्कों को अलट-पलट कर देखा. नोट […]

दुनिया में तरह-तरह के धन हैं. किसी के लिए स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, तो किसी के लिए भक्ति. लेकिन, आज कल एक नये तरह का धन खूब चर्चा में है. नाम है काला धन. पहले तो समझ ही नहीं आयी बात. धन भी काला होता है! मैंने सारे सिक्कों को अलट-पलट कर देखा. नोट भी देखे.. सब हरे, लाल, पीले, नीले, बैंगनी रंग के. काला एक भी नहीं.

मैं पड़ोस के भैयाजी के पास पहुंचा. उनसे पूछा : भैयाजी, आपने काला धन देखा है. भैयाजी ने कहा, देखा तो नहीं, पर सुना है. पक्ष-विपक्ष के नेताओं के मुंह से सुना है. मेरे दिल को सुकून मिला. जिज्ञासा भी बढ़ी. मेरे मन में एक-एक कर कई सवाल आते गये और मैं भैयाजी के सामने दागता गया. उनसे निवेदन किया : भैयाजी, मुङो जल्दी इसके बारे में सब कुछ बता दीजिए. अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता. भैयाजी का धैर्य जवाब दे गया. बोले : बेवकूफ! इसके बारे में सब कुछ जान लेने की बहुत जल्दी है! इतनी जल्दी तो किसी सरकार ने भी नहीं दिखाई. इसकी बड़ी माया है.

इसे समझने के लिए अलग काया की जरूरत है. हां, मैं इतना जरूर बता सकता हूं कि यह भारत के उस बाजार में नहीं चलता, जहां तक हमारी, तुम्हारी या आम लोगों की पहुंच है. इसका बाजार अलग है. कभी इसका सबसे बड़ा ठिकाना स्विस बैंक था. लेकिन, जिस तरह राजनीतिक दलों के नेता अपना ठौर बदल रहे हैं, यह काला धन भी अपना ठिकाना बदलने में व्यस्त है. कल तक जहां करोड़ों थे, आज एक कौड़ी नहीं है. बैंक खाते वैसे ही खाली हैं, जैसे बाबूलाल मरांडी की पार्टी. वर्ष 2009 से लाल कृष्ण आडवाणी काला धन, काला धन शुरू किये. बाद में बाबा रामदेव ने इस पर लेक्चर देना शुरू किया. योग शिविरों में नारे लगवाने लगे कि काला धन विदेश से लाना है, देश को स्वर्ग बनाना है.

जंतर-मंतर और रामलीला मैदान में तंबू गाड़ कर बैठ गये. अन्ना भी आ गये. मजबूरी में सरकार को काला धन का पता लगाने की कोशिशें शुरू करनी पड़ी. अब तक कुछ मालूम नहीं. जो मालूम है, सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट और काला धन पर बनी एसआइटी के पास पड़ा है. हां, इसके महत्व के बारे में इतना जान लो कि यह जब तक विदेश में है, देश की सरकारों को नचाता रहेगा. सत्ता बदलने का माद्दा है इस काले धन में. हम-तुम इससे कुछ नहीं खरीद सकते, लेकिन देश के नेता इससे सपने खरीदते हैं.

सत्ता सुख के लिए वे हमें भी मुंगेरीलाल के सपने दिखाते हैं. गरीबी खत्म हो जायेगी, सब लखपति बन जायेंगे. लेकिन, एक बात जान लो भाई. गरीबी न मिटी है, न मिटेगी. नेता आयेंगे, सपने दिखायेंगे और चले जायेंगे. हार गये, तो बीच-बीच में दर्शन देंगे, जीत गये, तो दूज का चांद बन जायेंगे. ठीक उसी तरह जैसे काले धन का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. अब तक नेता गिरगिट की तरह रंग बदलते थे, अब काला धन की तरह ठिकाना बदलने लगे हैं. समझ ही नहीं आता कि नेताओं ने काला धन का चरित्र अपना लिया है या नेताओं से काला धन प्रेरित हो गया है.

मिथिलेश झा
प्रभात खबर, रांची
mithilesh.jha@prabhatkhabar.in

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें