अमेरिका की यात्रा से पूर्व एक अंतरराष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया साक्षात्कार कई अर्थो में उल्लेखनीय है. इसमें न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा है, बल्कि वैश्विक महत्व के मसलों पर प्रधानमंत्री ने पारदर्शिता व स्पष्टता के साथ अपने विचारों को व्यक्त किया है.
सत्ता संभालते ही मोदी ने यह संकेत दे दिया था कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की ठोस उपस्थिति सुनिश्चित करना उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी. लेकिन अमेरिका के साथ उनके रुख को लेकर अनेक कयास लगाये जाते रहे हैं. करीब दस वर्ष तक उन्हें वीजा नहीं देने के मामले को लेकर कई लोग यह मान रहे थे कि अमेरिका के प्रति मोदी का रवैया कड़ा होगा. भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में इजरायल की निंदा और विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के दबाव के बावजूद व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने जैसे निर्णयों से इन अनुमानों को बल मिला था. लेकिन प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में बेहतरी की संभावना को रेखांकित किया है.
अमेरिकी राजनेता लिंडा लिंग्ले ने राष्ट्रनेता की विशेषता बताते हुए कहा था कि राजनेता अगले चुनाव की चिंता करता है, जबकि राष्ट्रनेता अगली पीढ़ी के बारे में सोचता है. अल-कायदा की हालिया धमकी और भारतीय मुसलमानों के बारे में पूछे जाने पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंक किसी एक देश या समुदाय का ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता का दुश्मन है तथा भारत के मुसलमानों की निष्ठा नि:संदेश देश के प्रति समर्पित है.
जब अल-कायदा भारत में अपने पैर पसारने की कोशिश में है तथा भाजपा और संघ परिवार से जुड़े लोग व संगठन देश में सांप्रदायिक विषवमन में संलग्न हैं, प्रधानमंत्री का यह बयान देश के अंदर व बाहर के विध्वंसक तत्वों के लिए ठोस संदेश है. भारत की धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विविधता ही उसकी शक्ति है और इसी के बूते हम अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में अहम भूमिका निभा सकते हैं. भारत के त्वरित विकास और उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा की पुनस्र्थापना का मोदी का इरादा साङो प्रयास से ही फलीभूत हो सकता है. इस तथ्य का एहसास प्रधानमंत्री को है और बतौर राष्ट्रनेता वे इसे अभिव्यक्त भी कर रहे हैं.