चकाचौंध से भरी आज की इस दुनिया में हर कोई अपनी जेब भरने के लिए कोई न कोई उपाय करता है, चाहे वह गलत हो या सही. पूजा-पाठ के लिए भारत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है या कहा जाये तो पहले पायदान पर है.
हो भी क्यों न, हमारे यहां धर्म के ठेकेदार जो भरे पड़े हैं. भले ही अनाज न हो, सुख न हो, प्यार न हो, मानव का मानव से संपर्क न हो, पर धर्म होना चाहिए. धर्म, भक्ति, ईश्वर, श्रद्धा को गलत नहीं कहता, लेकिन इस तरह से बेहोशी की हालत में ईश्वर के प्रति अंधविश्वास ठीक नहीं.
हमारी इस बेहोशी का लाभ धर्म के ठेकेदार अच्छे से उठाते हैं. अगर आस्था रखनी है तो अपनों पर, समाज पर रखें. ये हमें एकता के सूत्र में बांधे रखती है. अगर हमारी अंधभक्ति इसी तरह जमी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा जीवन एक कटी हुई पतंग की तरह हो जायेगा.
तहसीलदार सिंह, 24 परगना, प बंगाल