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यह सच बहुत ही कड़वा है
अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की जेंडर गैप की वार्षिक रिपोर्ट में विश्व में भारत की स्थिति अत्यंत शर्मनाक स्थान 112वां मिला है, जबकि इसी रिपोर्ट में पिछले वर्ष भारत का स्थान 108वां था. भारत का समाज पितृसत्तात्मक है, जहां पुत्र को हर जगह- शिक्षा, खाना, सुख-सुविधा, वस्त्र आदि में प्राथमिकता सबसे पहले दी जाती […]
अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की जेंडर गैप की वार्षिक रिपोर्ट में विश्व में भारत की स्थिति अत्यंत शर्मनाक स्थान 112वां मिला है, जबकि इसी रिपोर्ट में पिछले वर्ष भारत का स्थान 108वां था.
भारत का समाज पितृसत्तात्मक है, जहां पुत्र को हर जगह- शिक्षा, खाना, सुख-सुविधा, वस्त्र आदि में प्राथमिकता सबसे पहले दी जाती है. इसीलिए औरतों के लिए उत्तरजीविता में वैश्विक स्तर पर भारत का अत्यंत शर्मनाक 150वां स्थान है. यहां महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता भी बहुत कम है.
महिला बिल वर्षों से लंबित है. वहीं बलात्कारियों को दंडित करने का प्रतिशत भी अत्यंत कम है. इन मूलभूत समस्याओं का संजीदगी और ईमानदारी तथा गंभीरतापूर्वक समाधान करना ही होगा, तब हम औरतों को ‘वास्तविक देवी’ का दर्जा देने के हकदार होंगे. कड़वा सच है कि सिर्फ बातों से वास्तविकता को नहीं झुठलाया जा सकता!
निर्मल शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
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