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न हो जनादेश का अपमान

मताधिकार लोकतंत्र की आत्मा के शुद्धीकरण का सर्वोत्तम संवैधानिक अधिकार है, जो अठारह वर्ष के आयु के सभी युवाओं को प्राप्त है.हमें अपने मत का सही उपयोग कर राजनीति के गिरते स्तर को ऊपर उठाना है और देश की लोकतांत्रिक शक्ति को शक्ति प्रदान करना है. सरकार हमें अपने मताधिकार के लिए छुट्टी देती है […]

मताधिकार लोकतंत्र की आत्मा के शुद्धीकरण का सर्वोत्तम संवैधानिक अधिकार है, जो अठारह वर्ष के आयु के सभी युवाओं को प्राप्त है.हमें अपने मत का सही उपयोग कर राजनीति के गिरते स्तर को ऊपर उठाना है और देश की लोकतांत्रिक शक्ति को शक्ति प्रदान करना है. सरकार हमें अपने मताधिकार के लिए छुट्टी देती है और हममें से कुछ इसे घर में आराम करने का सुअवसर मान कर बैठे रहते हैं.
नकारात्मकता हमारे अंदर इतनी घुल-मिल गयी है कि हम यह मान लेते हैं कि सब नेता ही तय करेंगे, हमारे वोट करने से कुछ नहीं होगा.
चुनाव के बावजूद नेताओं ने महाराष्ट्र को राष्ट्रपति शासन के लिए मजबूर कर दिया. यह जनता के मतों का, उनके जनादेश का अपमान नहीं है, तो और क्या है? हम सबको चाहिए कि साठ प्रतिशत ईमानदार पार्टी को पूर्ण बहुमत देकर एक अच्छी सरकार बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं और तोड़-फोड़ की राजनीति से लोकतंत्र की रक्षा करें.
प्रो भावेश कुमार, बेंगलुरु, कर्नाटक

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