27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भगवान की वजह से चालान!

सुरेश कांत वरिष्ठ व्यंग्यकार drsureshkant@gmail.com सयानिस्तान में यातायात के नये नियम बना दिये गये थे, जिनमें नयापन मोटे तौर पर यह था कि नियम तोड़ने पर लगाया जानेवाला जुर्माना हद से ज्यादा था. नये नियम यह मानकर बनाये गये थे कि वाहन-चालक बदमाश होते हैं और वे यातायात के नियम तोड़ने के लिए हैं. काम […]

सुरेश कांत

वरिष्ठ व्यंग्यकार

drsureshkant@gmail.com

सयानिस्तान में यातायात के नये नियम बना दिये गये थे, जिनमें नयापन मोटे तौर पर यह था कि नियम तोड़ने पर लगाया जानेवाला जुर्माना हद से ज्यादा था. नये नियम यह मानकर बनाये गये थे कि वाहन-चालक बदमाश होते हैं और वे यातायात के नियम तोड़ने के लिए हैं. काम पर जाना तो एक बहाना भर है. घर से निकलते तो वे सड़कों पर ट्रैफिक जाम करने और दुर्घटनाएं करने के लिए ही हैं.

काम पर भी वे ज्यादा से ज्यादा दूरी पर किसी मजबूरी की वजह से नहीं, बल्कि सड़कों पर दूर तक और देर तक मौजूद रहने का शौक पूरा करने के लिए जाते हैं.

वरना काम ही करना मकसद हो, तो कोई जरूरी है कि चालीस-पचास किमी दूर किसी कंपनी में ही काम करें- घर के पास किसी गली-नुक्कड़ पर समोसे बनाने का काम भी तो कर सकते हैं. वह भी तो काम है, बल्कि सरकार की नजर में तो वही एक काम है. और तो और, सुबह काम पर जाने के बाद शाम को वहां से लौटना भी चाहते हैं, ताकि वे दिन में दो-दो बार ट्रैफिक-जाम कर सकें.

दुर्घटनाएं भी केवल वाहन-चालकों के कारण ही होती हैं. सड़कों पर बने गड्ढों का उनमें कोई योगदान नहीं होता. गड्ढे कौन-सा लोगों से कहते हैं कि आओ और हमारे अंदर गिरकर हाथ-पैर तुड़वाओ. ट्रैफिक नियंत्रित करने के लिए चौराहों पर ट्रैफिक-पुलिस के सिपाही या लाल बत्ती के न होने या होकर भी न होने अथवा अथॉरिटी द्वारा गलत तरीके से ड्राइविंग-लाइसेंस दिये जाने का भी दुर्घटनाओं से क्या मतलब है?

सड़कें बनाने के लिए तमाम तरह के टैक्स लेने, ऊपर से टोल-टैक्स भी वसूलने का भी कोई असर न होते देख सरकार ने ट्रैफिक-नियम और कड़े बनाये थे और उन नियमों के उल्लंघन पर लगनेवाला जुर्माना दोगुने से लेकर सौगुना तक कर दिया था. उधर ट्रैफिक-पुलिस के सिपाहियों का जोश भी जुर्माने की रकम में हुए बदलाव के अनुपात से ही बढ़ गया.

वे नये नियमों का पालन करवाने में जी-जान से जुट गये थे, खास तौर से उनका ‘अपनी तरह से’ पालन करवाने में. इसमें ‘पालन’ के ‘पाल’ वाले हिस्से पर उनका ध्यान कम और ‘न’ वाले हिस्से पर ज्यादा रहता था, क्योंकि उस ‘न’ से ही वाहन-चालकों के पर्स से ‘हां’ निकलती थी और उनकी जेब तक आती थी. दुनिया से नकारात्मकता दूर कर सकारात्मकता फैलाने में उनका यह विनम्र योगदान था.

एक भीड़-भाड़ भरी सड़क पर एक स्कूटर-चालक की एक बस से टक्कर हो गयी, लेकिन वह और उसके पीछे बैठी सवारी बच गये. दोनों अपने उड़े हुए होश ठीक करने की कोशिश कर ही रहे थे कि शून्य में से प्रकट होकर ट्रैफिक-पुलिस का एक चालाक सिपाही वहां पहुंचा और बोला- क्या हुआ?

स्कूटर-चालक ने उसे अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताया. ‘कमाल है, इतने बड़े हादसे से तुम लोग बच कैसे गये?’ सिपाही ने हैरान होते हुए पूछा. ‘हमारा भगवान हमारे साथ था’, चालक ने जवाब दिया. ‘फिर तो भैया, तेरा ट्रिपल राइडिंग का चालान होगा!’ सिपाही ने बड़ी ही गंभीरता से कहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें