संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के संकल्प मसौदे के पक्ष में नमो सरकार ने वोट किया. मैं इसका तह-ए-दिल से समर्थन करता हूं. भले ही यह मसौदा सिर्फ सांकेतिक है, क्योंकि अमेरिका और उसके पिट्ठ देशों द्वारा समर्थित इस्नइलियों का कोई बाल भी बांका नहीं कर सका है, न कर पायेगा.
स्पष्ट है कि दस्तावेजी सबूत आधुनिक विश्व के पास मौजूद हैं. सन 1945 के पहले इस्नइल का अस्तित्व तक नहीं था. फिलिस्तीन मौजूद था. जबरन यहूदियों ने फिलिस्तीन पर कब्जा जमा लिया. आज फिलिस्तीनी अपने ही घर में खानाबदोश बना दिये गये हैं.
कोई आवाज उठाता है तो उसे आतंकी कह कर मार गिराया जाता है. पिछले 60 वर्षो में हजारों फिलिस्तीनियों का कत्लेआम और उनकी खरबों की संपत्ति नेस्तनाबूद कर दिया गया है. कहां गया अंतरराष्ट्रीय न्यायालय? ऐसे में ‘हमास’ की उत्पत्ति कहां गलत है?
जंग बहदुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर