ई-गवर्नेंस की वजह से भ्रष्टाचार में कमी की उम्मीद बंधी थी, लेकिन झारखंड में उल्टा हो रहा है. प्रखंड, अनुमंडल और जिला कार्यालयों में स्थित कंप्यूटर विभाग के अनुबंधित कंप्यूटर ऑपरेटर अपने को सरकारी अधिकारी मान कर तमाम दांवपेंच लगा कर सरकारी कार्य प्रक्रिया को बाधित व धीमा कर सरकार की मंशा को विफल कर रहे हैं.
जाति प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, लगान रसीद और दाखिल-खारिज आदि जरूरी कार्यों में कमाने की मंशा से जानबूझ कर कमियां निकाल कर रद्द करा देना धंधा बन चुका है. हैरान-परेशान भुक्तभोगी जब संबंधित कार्यालय जाता है, तब कुछ दलाल किस्म के लोग पैसे लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ मिलीभगत कर कार्य संपन्न करा देते हैं.
चूंकि मामला तकनीकी है सो आम आदमी तो क्या, अधिकारियों को भी समझ में नहीं आता. व्यू प्राब्लम, स्पेलिंग मिस्टेक, एडिट कर आवेदन रद्द करा देना इनका मुख्य हथकंडा है. अत: सरकार को चाहिए कि कंप्यूटर विभाग के क्रियाकलापों पर निगरानी के लिए तकनीकी सेल का गठन करे और दोषी को दंडित करें.
आनंद सिंह मुंडा, रांची