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संबंधों को विश्वास का ठोस आधार

अवधेश कुमार वरिष्ठ पत्रकार awadheshkum@gmail.com प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरी बार पद ग्रहण करने के बाद पहली एवं दूसरी विदेश यात्रा के लिए मालदीव और श्रीलंका के चयन का विशेष महत्व है. मोदी ने इसके द्वारा संदेश दिया कि ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति केवल सिद्धांत नहीं भारत के आचरण में निहित है. श्रीलंका यात्रा वहां की […]

अवधेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार
awadheshkum@gmail.com
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरी बार पद ग्रहण करने के बाद पहली एवं दूसरी विदेश यात्रा के लिए मालदीव और श्रीलंका के चयन का विशेष महत्व है.
मोदी ने इसके द्वारा संदेश दिया कि ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति केवल सिद्धांत नहीं भारत के आचरण में निहित है. श्रीलंका यात्रा वहां की सरकार, सुरक्षा एजेंसिया, नागरिकों एवं वहां रह रहे भारतीयों के साथ एकता दर्शाने एवं उनके बीच आत्मविश्वास पैदा करने के लिए था. आतंकवादी हमले के बाद वहां पहुंचनेवाले वे पहले विदेशी नेता बने. श्रीलंका ने इस नाते उनका स्वागत किया. इससे पर्यटकों के आने का सिलसिला आरंभ होगा तथा उसकी अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. मोदी हवाई अड्डे पर उतरते ही प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ कोलंबो स्थित सेंट एंथनी चर्च पहुंचे, जहां ईस्टर हमले में मारे गये लोगों को श्रद्धाजंलि दी और ईसाई नेताओं से मुलाकात की.
इसका संदेश साफ था. उसके बाद राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के साथ सारे विषयों पर अनौपचारिक चर्चा की. इस दौरान श्रीलंका सरकार की कैबिनेट के सहयोगी, सभी नौ राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. वह दृश्य अद्भुत था, जब स्वागत समारोह के दौरान अचानक बारिश हुई तो खुद राष्ट्रपति सिरिसेना नरेंद्र मोदी के सिर पर छाता तानकर चलने लगे.
फिर इंडिया हाउस में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और तमिल नेशनल अलायंस के अन्य नेताओं से मुलाकात कर मोदी ने न केवल भारत की सभी दलों के साथ समान व्यवहार की नीति का परिचय दिया, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध श्रीलंकाई एकता को मजबूत करने की भी भूमिका निभायी. कठिन समय में श्रीलंका के लिए यह बहुत बड़ा सहयोग था, जिसका सकारात्मक असर आनेवाले लंबे समय तक दोनों देशों के रिश्तों पर रहेगा.
इसके समानांतर मालदीव की यात्रा औपचारिक द्विपक्षीय श्रेणी की थी. हालांकि, मोदी पिछले वर्ष नवंबर में वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथग्रहण समारोह में गये थे, लेकिन वह पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा नहीं थी. पहले कार्यकाल में दक्षिण एशिया में एकमात्र देश मालदीव ही था, जहां वे चाहकर भी द्विपक्षीय यात्रा नहीं कर पाये थे. राष्ट्रपित इब्राहिम मोहम्मद सोलिह पद संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा के रूप में दिसंबर में भारत आये और उस समय हुए समझौतों से गाड़ी पटरी पर लौट आयी.
मालदीव की सबसे बड़ी समस्या अब्दुल्ला यामीन द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के नाम पर चीन से लाखों डॉलर का कर्ज लेना था, जिससे देश चीन के कर्ज जाल में फंस गया. सोलिह की यात्रा के दौरान करीब तीन अरब डॉलर के चीनी कर्ज में फंसे मालदीव को 1.4 अरब डॉलर की वित्तीय मदद की घोषणा सहित कई समझौते किये गये. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के साथ दोनों देशों ने अपने आर्थिक, सामरिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को उससे काफी आगे ले जाकर और सशक्त किया है.
प्रधानमंत्री मोदी अपने हर कार्यक्रम को भावनाओं और दोनों देशों की परस्पर एकता दर्शानेवाली सभ्यता-संस्कृति के साथ आबद्ध करके उसे विशेष स्वरूप दे दते हैं.
इब्राहिम सोलिह के साथ द्विपक्षीय बातचीत आरंभ करने के पहले उन्होंने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर वाला बैट भेंट किया. मालदीव ने भारत से अपने नेशनल क्रिकेट टीम को तैयार करने में मदद का अनुरोध किया है. भारत वहां एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने जा रहा है.
दोनों देशों के बीच रक्षा, सुरक्षा और कनेक्टिविटी समेत कई महत्वपर्ण समझौते हुए हैं. दोनों देश नागरिकों का आवागमन बढ़ाने के लिए भारत में कोच्चि और मालदीव में कुल्तुफुशी और माले के बीच नौका सेवा शुरू करने पर सहमत हुए हैं.
दोनों नेताओं ने रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अपना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए वार्ता की. उन्होंने माफिलाफुशी में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल की समग्र प्रशिक्षण संस्थान और भारत द्वारा निर्मित तटीय निगरानी रडार प्रणाली का उद्घाटन किया. यह रडार प्रणाली काफी महत्व रखता है, क्योंकि चीन हिंद महासागर में अपनी समुद्री रेशम मार्ग परियोजना के लिए मालदीव को महत्वपूर्ण मानता है. तटीय निगरानी रडार, एकीकृत तटीय निगरानी प्रणाली के लिए प्राथमिक सेंसर है.
दोनों देशों ने भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच व्हाइट शिपिंग सूचनाएं साझा करने के लिए तकनीकी समझौते पर भी हस्ताक्षर किये. व्हॉइट शिपिंग समझौते के तहत दो देश एक-दूसरे के समुद्री क्षेत्र में वाणिज्यिक जहाजों के बारे में दोनों देशों की नौसेना के बीच सूचना का आदान-प्रदान करते हैं.
राष्ट्रपति सोलिह ने मोदी को विदेशी हस्तियों को दिया जानेवाला सबसे बड़ा सम्मान ‘द मोस्ट ऑनरेबल ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन’ से सम्मानित करके भारत के प्रति सम्मान तथा दोस्ती के प्रति ईमानदार भावना का परिचय दिया. मोदी ने कहा कि मालदीव की हरसंभव सहायता करने के लिए भारत हमेशा प्रतिबद्ध है.
संसद से पूरे मालदीव को मोदी ने संदेश दिया कि भारत की विकास साझेदारी लोगों को सशक्त करने के लिए है, उन्हें कमजोर करने, खुद पर निर्भरता बढ़ाने या भावी पीढ़ियों पर कर्ज का बोझ लादने के लिए नहीं है. यह एक ओर चीन की कुटिल नीति की ओर लक्षित था, जिसने भारी कर्ज देकर संकट में फंसा दिया, वहीं दूसरी ओर भारत की मित्र देश की निःस्वार्थ सहायता का ऐलान.
मोदी ने कहा कि मालदीव की भाषा दिबेही और भारतीय भाषाओं में व्यापक समानता हमारे एक होने का प्रमाण है. इसलिए मालदीव की सांस्कृतिक धरोहर के संवर्धन, दिबेही के शब्दकोष के विकास जैसी परियोजनाओं में मालदीव को सहयोग देना भारत के लिए महत्वपूर्ण है. मोदी की एक बड़ी घोषणा मूंगा से बनी दुनिया की अकेली फ्राइडे मस्जिद के संरक्षण में भारत के सहयोग संबंधी थी.
श्रीलंका की कुछ घंटे तथा मालदीव की एक दिवसीय यात्रा के फलितार्थ व्यापक हैं. मालदीव का कार्यक्रम भले व्यस्त था, लेकिन इसके पीछे की जबरदस्त तैयारी में बहुआयामी संबंधों को ठोस आधार देने की झलक साफ थी.
वास्तव में इस यात्रा से संबंधों का ज्यादा सुदृढ़ीकरण हुआ तथा स्वाभाविक भाईचारे, दोस्ती और कठिन परिस्थितियों मेें बिना बुलाये मदद के लिए खड़ा रहने का विश्वास दिलाकर प्रधानमंत्री मोदी ने मानवता और भावुकता की आवश्यक दीवार, स्तंभ और रंग-रोगन के साथ स्थिर रिश्तेदारी के भवन को पुनः खड़ा कर दिया. इसके बाद भारत मालदीव के साथ और मालदीव भारत के साथ संबंधों को लेकर निश्चिंत रह सकता है

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