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अल्लाह के बंदे हंस दे…

मुकुल श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार sri.mukul@gmail.com मैं कभी-कभी जब खुश होता हूं, तो गाने सुनता हूं और जब दुखी होता हूं, तो भी गाने ही सुनता हूं. आप भी सोच रहे होंगे कि यह क्या गड़बड़झाला है? मित्रों! जिंदगी में कोई भी समस्या हो, संगीत ऐसी दवा है जो सारे तनावों को भगाने के लिए काफी […]

मुकुल श्रीवास्तव
स्वतंत्र टिप्पणीकार
sri.mukul@gmail.com
मैं कभी-कभी जब खुश होता हूं, तो गाने सुनता हूं और जब दुखी होता हूं, तो भी गाने ही सुनता हूं. आप भी सोच रहे होंगे कि यह क्या गड़बड़झाला है? मित्रों! जिंदगी में कोई भी समस्या हो, संगीत ऐसी दवा है जो सारे तनावों को भगाने के लिए काफी है.
पर जब कभी स्थितियों पर हमारा जोर नहीं रहता और कुछ भी अच्छा नहीं होता, तब बस एक ही चीज याद आती है- ऊपरवाला. मतलब एक सुपरनेचुरल पावर है, जो हमारा आखिरी सहारा है. अब अगर संगीत और भगवान को जोड़ दिया जाये, तो एक ऐसी दवा तैयार होगी, जिसका कोई मुकाबला नहीं होगा. बात सीधी सी है, पर है थोड़ी टेढ़ी.
कहते हैं संगीत कि कोई भाषा नहीं होती और कोई उसे किसी भाषा में बांध भी नहीं सकता है. अब आप ‘वाका वाका’ गीत को ही ले लीजिये, इस शब्द का अर्थ भले ही हम न समझें, लेकिन हम इसे खूब गुनगुनाते रहते हैं.
बहुत परेशानी और निराशा की हालत में लावारिस फिल्म का गाना याद आता है- ‘जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों, मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारों’. निराशा भी कभी-कभी मोटिवेटर का काम करती है, क्योंकि तब व्यक्ति ऊपरवाले का सहारा खोज लेता है. यानी फिल्मी गाने और संगीत भी एक अच्छा जरिया हैं, भगवान से हमारा संबंध स्थापित करने का. आप मानें या न मानें, पर ये सच है.
कई फिल्मी गाने किसी एक मजहब या धर्म की बात नहीं करते. इसकी एक बानगी देख लीजिये- अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम (हमदोनों ), जय रघुनंदन जय सिया राम (घराना), वो मसीहा आया है (क्रोधी ) या फिर एक ओंकार सतनाम (रंग दे बसंती). मनोरंजन की नजर से देखें, तो ये सिर्फ गाने हैं, लेकिन खास बात यह है कि ये गाने हम इंसानों के बीच एक बराबरी की बात करते हैं. थोड़ा और आगे बढ़ते हैं, तो पाते हैं कि- ‘तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा’, (धुल का फूल).
सूफी संगीत का जन्म तो संगीत और उस रूहानी ताकत के मिलन से हुआ है, जिसे हम ईश्वर कहते हैं. जब आप इसको सुनते हैं, तो लगता है कि ऊपर वाला हमारे सामने है. हमारे हिंदी फिल्म उद्योग के गीतकार-संगीतकार अपने गीतों में सूफी संगीत की मधुरता बुन रहे हैं- अल्लाह के बंदे हंस दे, पिया हाजी अली, ख्वाजा मेरे ख्वाजा, अर्जियां आदि जैसे सूफी संगीत में पगे गीतों की सूची बहुत ही लंबी है.जीवन की कठिन राहों पर अगर आप चलते-चलते थक जायें, तो थोड़ा रुककर इन गानों का साथी बन जायें.
आप देखेंगे कि आपकी मंजिल करीब नजर आने लगेगी और सफर की थकन भी कम होगी. साथ ही एक बात मत भूलियेगा, जब भी प्रार्थना कीजिए, तो पूरे विश्वास से कीजिए. प्यार बांटते चलिए और निराशाओं को अपने पर हावी मत होने दीजिए. कल तो बिल्कुल आयेगा आशा और उम्मीद लेकर. अगर आज थोड़ी मुश्किल है, तो थोड़ा धीरज रख लीजिए, क्योंकि कोई है जो आपके साथ है, आप उसे किसी भी नाम से बुला सकते हैं.

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