राजीव चौबे
प्रभात खबर, रांची
बोल्डनेस क्या है? यह तन से परिभाषित होती है या मन से? डिक्शनरी चाहे कुछ भी कहती हो, लेकिन बात अगर मनोरंजन क्षेत्र की करें तो यहां आज के दौर में बोल्डनेस की परिभाषा तेजी से बदल रही है. फिल्मों में पहले जहां चर्चा होती थी कि फलां अभिनेत्री या फलां फिल्म बोल्ड है, तो लोग यह मान कर चलते थे कि उस अभिनेत्री के फिल्म में ऐसे बहुत सारे सीन होंगे, जिन पर हॉल में दर्शक बरबस ही सीटियां बजाने लगते हैं.
लेकिन बदलते जमाने के साथ बोल्डनेस का कॉन्सेप्ट भी बदलने लगा है. उदाहरण के तौर पर अभिनेत्रियों की नजर में बोल्डनेस की परिभाषा अब बदल चुकी है. पहले किसी हीरोइन की बोल्ड इमेज का मतलब होता था उसका देह दर्शन करानेवाली भूमिकाएं करना, लेकिन अब किसी अभिनेत्री के बोल्ड होने का मतलब है उसका चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं करना.
दस साल पहले जहां ‘राज’ और ‘मर्डर’ के उत्तेजक दृश्यों से फिल्मी गलियारों में अपनी पहचान बनानेवाली बिपाशा बसु और मल्लिका शेहरावत जैसी अभिनेत्रियों को बोल्ड माना जाता था, वहीं अब ‘कहानी’ और ‘क्वीन’ जैसी फिल्मों से दर्शकों को अपनी काबिलियत से पहचान करा चुकीं विद्या बालन और कंगना रनौत बोल्ड मानी जाने लगी हैं. उन दिनों की बोल्ड अभिनेत्रियां होठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक और हेवी मेक -अप लगा कर देह दर्शन कराती हुई परदे पर अवतरित होती थीं, तो अब की बोल्ड अभिनेत्रियों का ध्यान मेक -अप पर नहीं, अभिनय पर होता है.
इसलिए पहलेवाली बोल्ड अभिनेत्रियों को जहां सीटियां मिलती थीं, वहीं अब की बोल्ड अभिनेत्रियों को वाहवाहियां मिलती हैं. वैसे अंग प्रदर्शन लंबे समय से फिल्मों में पहचान पाने और कई बार सफलता पाने का शॉर्टकट रहा है. लेकिन सिनेमाहॉल में हॉट सीन्स पर सीटियां बजानेवालों के बीच आज भी ऐसे दर्शक हैं जो अभिनय और कला के अन्य आयामों के प्रशंसक हैं. वैसे अलग और चैलेंजिंग काम करने की बात हर दूसरा कलाकार करता है, लेकिन इसमें सफलता हर किसी को नहीं मिलती क्योंकि हर कोई ‘चैलेंजिंग’ को ‘चैलेंज’ नहीं कर पाता.
आज की बोल्ड अभिनेत्रियों की सूची में ‘कहानी’ फिल्म में गर्भवती महिला के गेटअप वाली चुनौतीपूर्ण लीड किरदार निभानेवाली विद्या बालन, ‘क्वीन’ फिल्म में अकेली हनीमून पर विदेश घूमने चली जानेवाली कंगना रनौत, ‘हंसी तो फंसी’ फिल्म में ड्रग एडिक्ट जीनियस बनी परिणीति चोपड़ा और ‘हाइवे’ फिल्म में किडनैप होने पर किडनैपरों के बीच जिंदगी के नये मायने तलाशनेवाली आलिया भट्ट का नाम सामने आता है. बाकी तो ‘एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट’ के भूखे दर्शकों की समझदारी पर निर्भर करता है कि उन्हें क्या देखना अच्छा लगता है, क्योंकि यहां तो ‘ग्रैंड मस्ती’ और ‘हमशकल्स’ जैसी फिल्में भी सौ करोड़ रुपये कमा जाती हैं.