अच्छे दिनों की आस लगाये बैठी जनता के लिए नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना राहतभरी खबर बन कर आया. लेकिन दुर्भाग्य से अब चीनी, सब्जियों आदि के दाम फिर से आसमान छूने लगे हैं. लोगों का मानना है कि यह सब मीडिया, मुनाफाखोरों और जमाखोरों आदि की देन है. लगता है इन बढ़ते दामों पर मोदी सरकार भी शायद मुश्किल से ही काबू कर पाये, क्योंकि घोर पूंजीवादी व्यवस्था में उपभोक्तावाद और बाजारवाद आदि तो अपने चरम पर ही होता है.
इसलिए लगता है अब भी महंगाई और बेरोजगारी की चक्की में जनता यूं ही पिसती रहेगी. अकेले मोदी भी क्या कर सकते हैं? उनके पास भी तो कोई जादू की छड़ी है नहीं. इन सभी समस्याओं के लिए तो उन्हें कड़े कदम उठाने होंगे. उन्हें पार्टी और संसद की सफाई के साथ ही भ्रष्ट नौकरशाहों के साथ भी सख्ती से पेश आना होगा.
वेद प्रकाश, दिल्ली