23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

योजना आयोग के भविष्य पर सवाल

इस वर्ष फरवरी में बनी संस्था इंडिपेंडेंट इवैल्यूएशन ऑफिस अपने मूल्यांकन-रिपोर्ट में छह दशक पुराने योजना आयोग को खत्म करने की बात कह रही है. यह परखा जाना चाहिए कि उसकी दलीलों में कितना दम है और सियासी मकसद क्या हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, योजना आयोग कामकाज के मामले में अपनी हदों को लांघकर […]

इस वर्ष फरवरी में बनी संस्था इंडिपेंडेंट इवैल्यूएशन ऑफिस अपने मूल्यांकन-रिपोर्ट में छह दशक पुराने योजना आयोग को खत्म करने की बात कह रही है. यह परखा जाना चाहिए कि उसकी दलीलों में कितना दम है और सियासी मकसद क्या हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, योजना आयोग कामकाज के मामले में अपनी हदों को लांघकर ‘नियंत्रण-आयोग’ सरीखा काम कर रहा है, जबकि उसकी स्थापना एक सिफारिशी संस्था के रूप में की गयी थी.

रिपोर्ट के अनुसार, संसाधनों को बांटने के मामले में योजना आयोग एक निर्णायक की भूमिका निभाता रहा है, जबकि यह काम वित्त आयोग के हाथ में होना चाहिए. इस संस्था के विचार में केंद्रीय मंत्रालयों के बीच संसाधनों का बंटवारा वित्त आयोग करे और राज्यों को मिलने वाले धन के मामले में निर्णायक की भूमिका वित्त मंत्रालय की हो.

रिपोर्ट की यह बात सही है कि वित्तीय ताकत के मामले में केंद्र-राज्य संबंध पहले से असंतुलित चले आ रहे हैं और केंद्र की तरफ से राज्यों को होने वाले आवंटन के मामले में एक निर्णायक सरीखा व्यवहार अपनाकर योजना आयोग ने दरअसल इस अंसतुलन को बढ़ाने का काम किया है. इस दलील में भी दम है कि आज देश की प्राथमिकताएं बदल गयी हैं, पर ऐसे में किसी संस्था में सुधार करना एक बात है और उसे अप्रासंगिक करार देकर एक नयी संस्था के निर्माण की बात कहना एकदम ही दूसरी बात. रिपोर्ट की सिफारिश योजना आयोग की जगह सुधार व समाधान आयोग बनाने की है, जिसमें विविध विषयों के विशेषज्ञ अर्थव्यवस्था की बेहतरी के उपाय बताया करेंगे.

असल में इवैल्यूशन ऑफिस ने इस रिपोर्ट में पहले से मौजूद सोच को ही रेखांकित किया है कि योजना आयोग के बरक्स केंद्रीय वित्त मंत्रालय को मजबूत बनाया जाये. रंगराजन समिति ने भी सुझाव दिया था कि योजनागत व गैर-योजनागत व्यय के अंतर को खत्म कर आवंटन का जिम्मा आयोग से लेकर वित्त मंत्रालय को दे दिया जाये. दरअसल, संसाधनों के बंटवारे का काम चाहे मंत्रालय करे या योजना आयोग, यदि केंद्र-राज्य संबंधों में संतुलन नहीं आता, राज्यों की आर्थिक निर्भरता केंद्र पर बनी रहेगी और योजना-आयोग को समाप्त करने की सिफारिश इसी सोच के भीतर से उपजी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें