पारा शिक्षकों के 16 नवंबर से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल में अब तक तीन पारा शिक्षकों की मौत हो चुकी है. हड़ताल को एक महीना से अधिक होने वाला है, लेकिन सरकार इस ओर कोई रुचि नहीं दिखा रही है.
पहले तो 15 नवंबर को शांतिपूर्वक विरोध कर रहे पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज करवाया गया, जिसमें कई पारा शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गये और 16 नवंबर से वे लोग हड़ताल पर हैं. यह सच है कि राज्य के अधिकांश सरकारी स्कूल पारा शिक्षकों के भरोसे चल रही है. एक महीने की हड़ताल से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. एक तो विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, ऊपर से पारा शिक्षकों को पढ़ाने के अलावे और भी कई काम सौंप दी जाती है.
दूसरी ओर उन्हें जितना वेतनमान मिलता है, उससे ज्यादा तो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले मजदूर भी कमा लेते हैं. नेताओं के वेतन-भत्ते तो समय-समय पर बढ़ते रहते हैं, लेकिन जब सरकारी कर्मचारियों ने बारी आती है, तो सब मौन हो जाते हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.
शेखर कुमार, दुमदुमी, करौं