प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते ही मोदी ने देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने का इरादा अपने शुरुआती कामकाज के तरीकों से जता दिया है. जनता को दिये गये वादों को पूरा करने के लिए 100 दिनों का एजेंडा तैयार कर कामकाज की नयी संस्कृति ईजाद की है. तमाम मसलों पर लिये गये उनके फैसलों का डंका देश में ही नहीं विदेशों में बजने लगा है.
ऐसा पहली बार हुआ जब किसी प्रधानमंत्री ने सदन की सीढ़ियों पर माथा टेका. उनके शपथ समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी ने साफ कर दिया कि वे पड़ोसी देशों से व्यापार संबंध मजबूत करने के पक्षधर हैं. सांसदों को पैर छूने और रिश्तेदारों को अपने पद का लाभ पहुंचाने की मनाही, काम के प्रति निष्ठावान बनने की अपील और खुद को उम्मीदों का रखवाला बताना उनकी सोच और कार्यशैली को परिलक्षित करता है.
नेहा चौधरी, जमशेदपुर