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सावधान रहें ग्राहक
मशहूर ब्रांडों के निर्माता अक्सर अपने ग्राहकों को नक्कालों से सावधान रहने की सलाह देते हैं. परंपरागत बाजार में उपभोक्ता को चीजों को देख-परखकर खरीदने की सुविधा होती है. नकली या खराब गुणवत्ता की चीजें तुरंत बदली या लौटायी भी जा सकती हैं. इंटरनेट पर पसरे ई-कॉमर्स के बाजार में ऐसी सहूलियत बहुत कम है […]
मशहूर ब्रांडों के निर्माता अक्सर अपने ग्राहकों को नक्कालों से सावधान रहने की सलाह देते हैं. परंपरागत बाजार में उपभोक्ता को चीजों को देख-परखकर खरीदने की सुविधा होती है. नकली या खराब गुणवत्ता की चीजें तुरंत बदली या लौटायी भी जा सकती हैं. इंटरनेट पर पसरे ई-कॉमर्स के बाजार में ऐसी सहूलियत बहुत कम है और कई वेबसाइटों पर सामान बदलने की गारंटी भी सीमित ही होती है. ई-कॉमर्स में बिक्री के काम में निर्माता कंपनी के साथ अनेक दुकानें भी लगी होती हैं.
ऐसे में नकली या घटिया गुणवत्ता की चीजों की खरीद की आशंका बढ़ जाती है. ‘लोकल सर्किल्स’ नामक संस्था द्वारा कराये गये एक ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि ई-कॉमर्स के जरिये बेचे जा रहे हर पांच में से एक उत्पाद नकली है. अगर कोई वस्तु सौंदर्य प्रसाधन, इत्र आदि श्रेणी का है, तो फिर इसके नकली होने की आशंका सबसे ज्यादा है.
सर्वेक्षण के मुताबिक ई-कॉमर्स की ज्यादातर महत्वपूर्ण साइटों पर 20 फीसदी से 37 फीसदी नकली उत्पाद बेचे जा रहे हैं. त्योहारी खरीद के मौसम में ई-कॉमर्स की वेबसाइटों ने ग्राहकों को लुभाने के लिए उत्पादों पर बड़ी आकर्षक पेशकश की है. इस माहौल में नकली उत्पाद के शिकार ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी है. हालांकि अपनी और ब्रांड की साख को बचाये रखने के लिए बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां सावधानी बरतने की कोशिश करती हैं, लेकिन उनके इंतजाम कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं.
इसकी बड़ी वजह ई-कॉमर्स के बाजार का तेज प्रसार है. ऑनलाइन खरीद-बिक्री में जवाबदेही का स्वायत्त ढांचा खड़ा करने के लिए नियमन के साथ ग्राहकों में पर्याप्त जागरूकता भी जरूरी है. ऐसे ढांचे के बगैर फिलहाल हमें इसी बात से संतोष करना होगा कि अपनी कमियों और खामियों को सुधारने की क्षमता बाजार में है.
यह उम्मीद भी बेजा नहीं है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा में टिके रहने और अपने बाजार का विस्तार करने के लिए ई-कॉमर्स में सक्रिय कंपनियां खुद ही नकली सामानों की बिक्री पर रोक लगाने की कोशिश करेंगी. इंटरनेट, स्मार्ट फोन और डिजिटल भुगतान सुविधाओं की बढ़ोतरी के साथ ई-कॉमर्स के व्यापक होते जाने की संभावनाएं बलवती हैं. आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों के बढ़ने में भी इनका अहम योगदान है.
देश में ई-कॉमर्स के बाजार का आकार 2017 के 38 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 तक 64 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है. यह बाजार अभी 51 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है, जो कि दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा है.
जाहिर है, कोई भी ई-कॉमर्स साइट नहीं चाहेगी कि ग्राहकों में उसकी नकारात्मक छवि बने और बढ़वार के इस सिलसिले में वह पीछे रह जाये. ग्राहकों को भी खरीदारी करते समय, खासकर ज्यादा छूट या कैशबैक के साथ बेची जा रही चीजों के मामलों में, अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. संबद्ध सरकारी संस्थाओं को भी निगरानी और शिकायतों पर अधिक गंभीर होने की जरूरत है.
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