जब एक टेलीकॉम कंपनी के एक विज्ञापन में दो पैसों में लड़की पटाने की बात की जाती है तब कौन ताली बजाता है? हर विज्ञापन में अधनंगी नारी को दिखा कर ये कंपनियां क्या संदेश देना चाहती हैं? इस पर कितने चैनल बहस करेंगे? रसोई के सामान से लेकर कार तक के विज्ञापनों में छरहरी कायावाली छोरियों के अधनंगे बदन को परोसना क्या नारीत्व के साथ बलात्कार नहीं है?
फिल्म चलाने के लिए आइटम सॉन्ग के नाम पर लड़कियों को जिस तरह नचाया जाता है, क्या वह स्त्रीत्व के साथ बलात्कार नहीं है? पत्रिकाएं हों या अखबार, सबमें अधनंगी लड़कियों की तसवीरेंकिसके लिए? दिन-रात, टीवी हो या अखबार, फिल्में हों या सीरियल, लगातार स्त्रीत्व का बलात्कार होते देखनेवाले और उस पर खुश होने वाले, उसका समर्थन करनेवाले क्या बलात्कारी नहीं हैं?
सुभाष कु वर्मा, गिरिडीह