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वायु प्रदूषण

दशहरा के बाद अब दिवाली आनेवाली है. खुशियों व सुख समृद्धि का यह पर्व पटाखों के कान-फोडू शोर और वायु प्रदूषण से अपनी खुमारी खो रहा है. तेज आवाज वाले पटाखों का सबसे ज्यादा असर बच्चों, गर्भवती महिलाआें, दिल और सांस के मरीजों पर पड़ता है. गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी विनाशकारी हथियार […]

दशहरा के बाद अब दिवाली आनेवाली है. खुशियों व सुख समृद्धि का यह पर्व पटाखों के कान-फोडू शोर और वायु प्रदूषण से अपनी खुमारी खो रहा है. तेज आवाज वाले पटाखों का सबसे ज्यादा असर बच्चों, गर्भवती महिलाआें, दिल और सांस के मरीजों पर पड़ता है.
गर्भवती महिलाओं के लिए तो पटाखे किसी विनाशकारी हथियार से कम नहीं हैं. इनसे सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि हानिकारक गैस हवा में घुल जाती है, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगलवार को दिवाली और दूसरे त्योहारों के अवसर पर पटाखे फोड़ने का समय निर्धारित कर दिया है, और इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखे और ज्यादा प्रदूषण वाले पटाखे बेचने पर भी रोक लगा दी है. अब लोगों को जागरूक होने की जरूरत है, ताकि हमारा वातावरण दूषित न हो.
अभिजीत मेहरा, गोड्डा

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