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आयुष्मान भारत की चुनौतियां!
दुनिया की सबसे बड़ी ‘मेडिक्लेम’ योजना की लॉन्चिंग करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब गरीबों का इलाज अमीरों जैसा होगा. निश्चित रूप से प्रति व्यक्ति वार्षिक पांच लाख रुपये की इलाज राशि गरीबों के लिए वरदान साबित हो सकती है, बशर्ते योजना पूरी ईमानदारी से लागू की जाये. ‘आयुष्मान भारत ‘ की चुनौतियां कम […]
दुनिया की सबसे बड़ी ‘मेडिक्लेम’ योजना की लॉन्चिंग करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब गरीबों का इलाज अमीरों जैसा होगा. निश्चित रूप से प्रति व्यक्ति वार्षिक पांच लाख रुपये की इलाज राशि गरीबों के लिए वरदान साबित हो सकती है, बशर्ते योजना पूरी ईमानदारी से लागू की जाये. ‘आयुष्मान भारत ‘ की चुनौतियां कम नहीं हैं. हमारे देश में नीति और नीयत के सामने ईमानदारी एक बड़ा मुद्दा है.
देश में जहां आज इलाज के खर्चों का बोझ उठाना सामान्य व्यक्ति के लिए आसान नहीं, वहीं यह योजना गरीबों की उम्मीद बन कर आयी है. आशंका बस इतनी है कि प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी और सरकारी मिली भगत इस महत्वाकांक्षी योजना का बंटाधार न कर दे. देश में प्राइवेट अस्पतालों और इंश्योरेंस कंपनियों की जुगलबंदी पहले से ही सवालों के घेरे में है.
एमके मिश्रा, रातू, रांची
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