केरल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाये रखने में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, लेकिन यह भी खतरे में है. सभी जल संसाधनों के दूषित होने के कारण शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना एक वास्तविक चुनौती होगी. बाढ़ के बाद जल और वायु जनित बीमारियों की महामारी फैलने की आशंका है. जिन लोगों के घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये हैं, उनके पुनर्वास की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी, जिसके लिए अतिरिक्त राशि की जरूरत है.
कुल मिलाकर केरल के लिए आगे मुश्किल भरे दिन हैं, लेकिन राज्य इससे उबर जायेगा. केरल हाथ में हाथ डालकर बचाव करना जानता है. इसका सबसे बेहतर उदाहरण मछुआरों का बचाव अभियान है. पत्तनमत्तिट्टा में मछुआरों की सेवा ने फंसे हुए लोगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.
डाॅ हेमंत कुमार, भागलपुर