मुजफ्फरपुर बालिका गृह की घटना समाज काे दर्पण दिखाती है. बेहतर जिंदगी की उम्मीद में इस बालिका गृह में पहुंची बेसहारा लड़कियों के साथ किया गया घृणित व्यवहार जितना शर्मनाक है, उतने ही गंभीर सवाल इससे पैदा हो रहे हैं. सरकार, प्रशासन, एनजीओ, समाज और मीडिया, सभी कटघरे में हैं. अंतिम उम्मीद केवल न्यायपालिका है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने मीडिया की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किये हैं. उसे कहना पड़ा है कि मीडिया बालिका गृह की पीड़िताओं के इंटरव्यू और उनकी तस्वीरें न दिखाये-छापे. यह एक बड़ा मुद्दा है. मीडिया को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए कि कोर्ट को ऐसा क्यों कहना पड़ा? तमाम बातों के बावजूद यह भी सही है कि इस घटना पर राजनीति हो रही है, जो नहीं होनी चाहिए.
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है और सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है. जरूरत है कि इस कड़ी में ऐसी व्यवस्था का कोई मार्ग निकले, जिससे भविष्य में ऐसी घटना न हो.
नीतेश कुमार, भोपाल.