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भारत बन सकता है विश्वगुरु

विश्व में लगभग जितने धर्म हैं, वे सभी भारत में विद्यमान हैं. हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है. किसी ने सही कहा है – कोस कोस पर बदले पानी,चार कोस पर वाणी. भारत के हर एक राज्य की अपनी अलग भाषा, खान-पान, त्योहार हैं, तो वहीं भौगोलिक विषमता भी मौजूद है. जैसे कहीं पहाड़, कहीं […]

विश्व में लगभग जितने धर्म हैं, वे सभी भारत में विद्यमान हैं. हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है. किसी ने सही कहा है – कोस कोस पर बदले पानी,चार कोस पर वाणी.
भारत के हर एक राज्य की अपनी अलग भाषा, खान-पान, त्योहार हैं, तो वहीं भौगोलिक विषमता भी मौजूद है. जैसे कहीं पहाड़, कहीं मैदान, तो कहीं पठार. इतनी ज्यादा विविधता के बावजूद हम सब एक साथ बंधे हुए हैं और एक मजबूत भारत वर्ष का निर्माण करते हैं.
लेकिन क्षेत्रवाद, जातिवाद, धर्म से जुड़ी कुछ घटनाएं लगातार सामने आ रही है, जो कि न केवल हमारी संस्कृति बल्कि हमारे लोकतंत्र को भी धूमिल करता नजर आ रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं कि हम विकास के क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं, किंतु विकास के साथ-साथ अगर हमारी संस्कृति भी सुदृढ़ होती जाये, तो भारत विश्व गुरु बनकर उभर सकता है.
दीपक कुमार दास, चंदनकियारी

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