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वन विभाग संजीदा हो
देश की वन संपदा के संरक्षण व संवर्धन की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य, दोनों सरकारों के वन-पर्यावरण मंत्रालयों एवं विभागों की है. चिंता का विषय यह है कि इसके बावजूद सही मायने में वन संपदा की रक्षा व वृद्धि नहीं हो पा रही है. देश के कई जंगलों में आग लगी रहती है, वन्य जीवों […]
देश की वन संपदा के संरक्षण व संवर्धन की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य, दोनों सरकारों के वन-पर्यावरण मंत्रालयों एवं विभागों की है. चिंता का विषय यह है कि इसके बावजूद सही मायने में वन संपदा की रक्षा व वृद्धि नहीं हो पा रही है.
देश के कई जंगलों में आग लगी रहती है, वन्य जीवों की हत्या होती है, तस्करी भी जोरों पर है और पेड़ों की कटाई में भी कमी नहीं आयी है.दुखद यह भी है कि वन मंत्रालयों और विभागों के पास वनों का क्षेत्रवार मूल स्वरूप बनाये रखने का ज्ञान भी नहीं है. विकास के नाम पर जहां-जहां पेड़ों की कटाई होती है, वहां क्षेत्र की भौगोलिक दशा को जाने बगैर किसी भी किस्म के पेड़ लगाकर भरपाई की जाती है. झारखंड में साल, महुआ, शीशम, केंदु, पियाल, बरगद, जामुन आदि की जगह यूकेलिप्टस और सोनाझुरी लगाये जा रहे हैं. जरूरी है कि सरकार वन संपदाओं को यथावत बचाये रखने की कोशिश करें.
डॉ मनोज ‘आजिज’, आदित्यपुर, जमशेदपुर
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