झारखंड में जमीन का मुद्दा गरम है. विपक्ष का आरोप है कि कानून में संशोधन करके सरकार आदिवासियों की जमीन पूंजीपतियों को दे देगी. जबकि सरकार का कहना है कि सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं जैसे स्कूल-अस्पताल के लिए ही जमीन ली जायेगी. सरकार विपक्ष को विकास-विरोधी बता रही है. इसके विरोध में एक बार बंद हुआ है और दूसरा प्रस्तावित है. सरकार विपक्ष को बहस की चुनौती दे रही है, जो सराहनीय है.
लेकिन विपक्ष चर्चा के बदले विरोध कर रहा है. सरकार के पास जो जमीन है, स्कूल-अस्पताल है, उनकी दशा तो सुधार नहीं पा रही, फिर नयी जमीन लेने को क्यों आतुर है? शिक्षक, डॉक्टर-नर्सों की कमी, मैट्रिक- इंटर के नतीजे शर्मनाक हैं, फिर भी नये स्कूल-अस्पताल क्यों खोलने हैं? पक्ष या विपक्ष किसी की बातें सुनकर सकारात्मक चर्चा की उम्मीद नहीं लग रही.
राजन सिंह, इमेल से